शिव या महादेव आरण्य संस्कृति जो आगे चल कर सनातन शिव धर्म नाम से जाने जाती है में सबसे महत्वपूर्ण देवताओं में से एक है। वह त्रिदेवों में एक देव हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहते हैं। इन्हें भोलेनाथ, शंकर, महेश, रुद्र, नीलकंठ, गंगाधार आदि नामों से भी जाना जाता है। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्॥ भगवान शिव को 'मृत्युंजय' कहा जाता है अर्थात वह शक्ति जिसके द्वारा मृत्यु पर भी विजय प्राप्त हो। महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को समर्पित बेहद शक्तिशाली और ब्रह्मांड की समस्त सकारात्मक ऊर्जाओं से युक्त मंत्र है। माना जाता है शिव का यह मंत्र अकाल मृत्यु के भय को भी टाल सकता है। जो व्यक्ति पूरी तन्मयता से भगवान शिव का ध्यान करते हुए नियमानुसार इस मंत्र का जाप करता है उसे विभिन्न ग्रह दोषों, जैसे विषकन्या दोष, कालसर्प दोष, ग्रहण दोष, पितृ दोष आदि से मुक्ति मिलती ही है। वरन् इसके प्रभाव से व्यक्ति अकाल मृत्यु के प्रभाव से भी मुक्त होता है। यह मंत्र जातक को मृत्यु के द्वार से भी बाहर निकाल सकता है।कहते हैं भगवान शिव के इस अत्यधिक शक्तिशाली मंत्र की ताकत इतनी है कि वह जातक की नियति को भी पलटकर रख सकता है। महामृत्युंजय मंत्र 34 अक्षरों से बना चमत्कारी मंत्र है। इसकी धुन ब्रह्मांड की विभिन्न शक्तियों से जुड़ी है।ब्रह्मांड की समस्त नकारात्मक शक्तियों और बुराइयों की काट है "महामृत्युंजय मंत्र"। यह मंत्र भगवान शिव के "रुद्र" स्वरूप को समर्पित है। शिव के कोप का भागी ना बनना पड़े इसलिए इस मंत्र के जाप के दौरान विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।