अचानक चोट लगने, गिरने या थप्पड़ से पड़े दबाव को कई बार कान का पर्दा सहन नहीं कर पाता व फट जाता है. वहीं, इससे आंतरिक भाग में स्थित जरूरी संरचनाएं भी असामान्य हो सकती हैं.
हेयरपिन और तीली से कान साफ करते हुए या जोर का धमाका (जैसे ब्लास्ट) होने पर भी चोट का खतरा रहता है. इस तरह आकस्मित कान में लगी चोट से सुनने में कमी, चक्कर, बेचैनी, घबराहट व कान से रक्तस्राव, भारीपन और सीटी सुनाई देने जैसी आवाज वाले लक्षण होने लगते हैं. मजाक-मजाक में या किसी भी रूप में बच्चों/बड़ों के कान पर नहीं मारना चाहिए. कान से वैक्स निकालने के लिए तीली या ईयरबड का इस्तेमाल करना गलत है. इलाज और सावधानी- चोट लगने पर कान में संक्रमण और गीलापन न होने दें. कान में ईयर ड्रॉप या अन्य द्रव्य न डालें, पानी से बचाएं. संक्रमण रोकने के लिए चिकित्सक एंटीबायोटिक और दर्द निवारक दवाएं देते हैं. ज्यादातर मामलों में चोट या थप्पड़ आदि से पर्दे में हुआ छेद 3-4 सप्ताह में खुद ही भर जाता है. कुछ ही मामलों में सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है.