हिंदू धर्म में पूर्णिमा तिथि को बहुत ही खास माना जाता हैं वही श्राद्ध पूर्णिमा दो सिंतबर को पड़ रही हैं और इसी दिन से श्रज्ञद्ध पक्ष की भी शुरूवात हो रही हैं जो 17 सितंबर को समाप्त होगी। श्राद्ध पक्ष को पितृ पक्ष के नाम से जाना जाता हैं पंचांग के मुताबिक भाद्रपद मास की पूर्णिमा को ही श्राद्ध पूर्णिमा कहा जाता हैं
पूर्णिमा के बाद एकादशी, द्वितीया, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्टी, सप्तमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी और अमावस्या श्राद्ध पड़ता हैं इन सभी तिथियों में पूर्णिमा श्राद्ध, पंचमी, एकादशी और सर्वपितृ अमावस्या का श्राद्ध मुख्य माना गया हैं तो आज हम आपको शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
पितृपक्ष का आगमन राहु के नक्षत्र शतभिषा में हो रहा हैं और राहु के नक्षत्र में इस पक्ष की शुरूवात होने से ज्योतिष की नजर में बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता हैं पूर्णिमा तिथि 1 सितंबर 2020 को सुबह 09:38 बजे से आरंभ होगा और जो 2 सितंबर 2020 को सुबह 10:53 बजे तक रहने वाला हैं।
हिंदू धर्म शास्त्रों के मुताबिक जो पूर्वज पूर्णिमा के दिन चले गए हैं उनके पूर्णिमा श्रज्ञद्ध ऋषियों को समर्पित होता हैं और हमारे पूर्वज जिनकी वजह से हमारा गोत्र हैं उनके निमित तर्पण करवाना चाहिए। आपको बता दें कि इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से मनुष्य को धन धान्य की कमी नहीं रहती हैं
जो लोग पूर्णिमा के दिन व्रत उपवास रखते हैं उनके घर में सब तरह के सुख समृद्धि आती हैं सारे कष्ट और संकट दूर हो जाते हैं ऐसा माना जाता हैं कि भगवान सत्यनारायण ने भी इस व्रत को किया था। इस दिन स्नान दान का भी विशेष महत्व होता हैं।