अनंत चतुर्दशी पर इस विधि से करें पूजा

कोलकाता डेस्कः आज अनंत चतुर्दशी का व्रत है। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को होता है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा होती है और अनंत चतुर्दशी की कथा सुनी जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करने से व्यक्ति को सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है और धार्मिक मान्यता है कि लगातार 14 वर्षों तक यह व्रत करने से व्यक्ति को विष्णु लोक की प्राप्ति होती है।

इस साल अनंत चतुर्दशी के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। जिनमें अनंत चतुर्दशी की पूजा का कई गुना लाभ प्राप्त कर सकते हैं। इस दिन सबसे पहला शुभ संयोग सुबह 9 बजकर 10 मिनट से दोपहर 1 बजकर 56 मिनट तक रहेगा, जिसमें आप अनंत चतुर्दशी की पूजा कर सकते हैं। यदि आप इस मुहूर्त में अनंत चतुर्दशी की पूजा नहीं कर पाए तो आप दिन में दोपहर 3 बजकर 32 मिनट से शाम 5 बजकर 07 मिनट पर पूजा कर सकते हैं।
पूजा करने की विधिः चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान आदि से निवृत हो जाएं। इसके पश्चात स्वच्छ वस्त्र धारण करें और हाथ में जल लेकर अनंत चतुर्दशी व्रत एवं पूजा का संकल्प करें। व्रत का संकल्प लेने के लिए इस मंत्र ममाखिलपापक्षयपूर्वकशुभफलवृद्धये श्रीमदनन्तप्रीतिकामनया अनन्तव्रतमहं करिष्ये' का उच्चारण करें।
इसके पश्चात पूजा स्थान को साफ कर लें। एक चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति या कुश से बनी सात फणों वाली शेष स्वरुप भगवान अनन्त की मूर्ति स्थापित करें। मूर्ति के सामने अनंत सूत्र, जिसमें 14 गांठें लगी हों, उसे रखें। कच्चे सूत को हल्दी लगाकर अनंत सूत्र तैयार किया जाता है। अब आप आम पत्र, नैवेद्य, गंध, पुष्प, धूप, दीप आदि भगवान अनंत की पूजा करें।
भगवान विष्णु को पंचामृत, पंजीरी, केला और मोदक प्रसाद में चढ़ाएं। पूजा के समय इस मंत्र को पढ़ें। नमस्ते देव देवेश नमस्ते धरणीधर। नमस्ते सर्वनागेन्द्र नमस्ते पुरुषोत्तम।। इसके बाद अनंत चतुर्दशी की कथा सुनें। फिर कपूर या घी के दीपक से भगवान विष्णु की आरती करें। व्रती को बिना नमक वाले भोज्य पादार्थों का ही सेवन करना होता है। आज गणपति बप्पा का विसर्जन भी किया जायेगा।

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