तो कोरोना के केस में वृद्धि की वजह जाँच में इजाफा, अर्थव्यवस्था का फिर से खुलना तथा संक्रमण के खतरे की ओर ध्यान नहीं देना है. लोगों में संक्रमण संबंधी व्यवहार को लेकर आत्मसंतुष्टि का भाव पैदा हो गया है. देश में हफ्तेभर के भीतर पांच लाख से अधिक मुद्दे सामने आ चुके हैं.
आईसीएमआर में महामारी विज्ञान व संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डाक्टर समिरन पांडा ने बोला कि मामलों में वृद्धि की संभावना पहले से थी, लेकिन सभी राज्यों में यह स्थिति समान नहीं है. कुछ इलाकों में ऐसा हो रहा है. खासतौर से उन समूहों के बीच, जहां संवेदनशील आबादी तथा बिना लक्षण या हल्के लक्षण वाले लोगों का मिलावट है. इन क्षेत्रों में संक्रमण रोकने के कोशिश करने होंगे. अधिक जाँच होने से भी मामलों का पता चल रहा है. इसके अतिरिक्त अर्थव्यवस्था खुलने व आवाजाही बढ़ने से लोगों में संक्रमण संबंधी व्यवहार को लेकर आत्मसंतुष्टि की भावना पैदा हो रही है, जिससे मामलों में बढ़ोतरी हो रही है.
स्वास्थ्य संबंधी परामर्श नहीं मान रहे लोग : जमील शीर्ष विषाणु विज्ञानी शाहिद जमील ने बोला कि लोग मास्क पहनने, हाथ साफ करने व सामाजिक मेलजोल से बचने संबंधी परामर्श को नहीं मान रहे. यह उस आधिकारिक विमर्श से उपजे आत्मसंतोष के कारण है, जिसमें केवल तेजी से ठीक होते मरीजों की संख्या व कम होती मृत्युदर की बात हो रही है. हकीकत यह है कि इस समय प्रतिदिन संक्रमण के सर्वाधिक मुद्दे आ रहे हैं.
व्यक्तिगत स्तर पर ही रोकथाम संभव : अग्रवाल आईएमए (भारतीय चिकित्सा संघ) के पूर्व अध्यक्ष डाक्टर केके अग्रवाल ने बोला कि इस स्तर पर सरकार के प्रयासों से मामलों की संख्या पर लगाम लगाने का कोई उपाय नहीं है. अब व्यक्तिगत स्तर पर ही रोकथाम संभव है. लॉकडाउन लोगों को संक्रमण से बचाने के लिए तैयार करने व संवेदनशील बनाने के लिए था. इस समय सबसे ज्यादा जरूरी है कि मौत दर पर रोकथाम की जाए. इसलिए सरकार के कोशिश मौत दर को कम करने की दिशा में होने चाहिए.