जीवन के किसी न किसी मोड़ पर हम में से हर कोई तनाव (Stress) महसूस करता है. लेकिन असल पुरानी तब प्रारम्भ होती है जब स्ट्रैस या तनाव का यह स्तर पुराना व गहरा (Chronic Stress) हो जाता है.
ऐसा होने पर हमारे शरीर व मानसिक स्वास्थ्य पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है. जिसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. 'स्ट्रैस ट्रस्टेड सोर्स' अवसाद के असर को बढ़ाकर मानसिक स्वास्थ्य के विकास से जुड़े जोखिम को बढ़ा सकते हैं. इतना ही नहीं इससे आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली भी निगेटिव रूप से प्रभावित हो सकती है व दिल रोग के विकास के आपके जोखिम को बढ़ा सकते हैं. लेकिन तनाव का सबसे ज्यादा प्रभाव होता है हमारे चेहरे पर. वहीं चेहरा जो हमारी असली पहचान है जो हमारे व्यक्तित्व का सबसे चमकदार भाग है. तनाव केचलते हमारे चेहरे पर बिन बुलाए निशान, रूखी-सूखी त्वचा, झुर्रियां व मुंहासे सारे चेहरे की रौनक को बेकार कर देते हैं. आइए जानते हैं कि चेहरे पर तनाव के व क्या असर हो सकते हैं.
तनाव ऐसे डालता है चेहरे पर असर क्रॉनिक स्ट्रैस यानी किसी पुराने तनाव के कारण होने वाला प्रभाव आपके चेहरे पर दो तरह से दिखाई दे सकता है. सबसे पहला, हमारा शरीर जो हार्मोन रिलीज करता है तो तनाव महसूस करने के दौरान उनमें शारीररिक रूपसे बदलाव होने कि सम्भावना है जिनका हमारे स्वास्थ्य व शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ सकता है. दूसरा, तनाव महसूस करने पर हम दांत पीसना,होठों को काटना या चीजों को फेंकना प्रारम्भ कर देते हैं जो हमारे लिए अच्दे इशारा नहीं हें क्योंकि ये आगे चलकर अवसाद में बदल सकता है. आइए जानते हैं कि तनाव व किस-किस तरह से हमारे चेहरे पर प्रभाव डालता है.
01. मुंहासे (Acne) जब आप तनाव महसूस करते हैं तो आपका शरीर हार्मोन कोर्टिसोल बेहद मात्रा में छोड़ता है. कोर्टिसोल हमारे मस्तिष्क का एक भाग है जिसे हाइपोथैलेमस के रूप में जाना जाता है. यह भी कॉर्टिकोट्रॉफिन-रिलीजिंग हार्मोन (CRH) नामक एक हार्मोन का उत्पादन करता है. सीआरएच हमारे बालों के रोम छिद्रों के चारों ओर बनी वसामय तैलीय ग्रंथियों से ऑयल छोडऩे के लिए उत्तेजित करता है. इन ग्रंथियों द्वारा अत्यधिक मात्रा में ऑयल छोडऩे से रोम छिद्रों का मुंह बंद हो जाता है जिससे कील-मुंहासे बनते हैं. हालांकि अभी तक यह माना जाता है कि तनाव मुंहासे का कारण बनते हें लेकिन इसे साबित करने वाले शोध बहुत ही कम हैं. 2017 में हुए एक अध्ययन में 22 से 24 साल की आयु के बीच की मेडिकल छात्राओं के चेहरे पर मुंहासों व उनका चेहरे पर पडऩे वाले असर का अधययन किया गया था. शोधकर्ताओं ने पाया कि बेहद तनाव होने पर चेहरे पर मुंहासे भी उतनी ही उच्च सतर पर नजर आते हैं व दोनों का आपस में गहरा संबंध है. ऐसे ही 2011 के एक दक्षिण कोरियाई महामारी विज्ञान के अध्ययन के अनुसार भी तनावख् नींद की कमी, शराब का सेवन व मासिक धर्म का नियमित न होने पर भी चेहरे पर मुंहासे हो सकते हैं.
02. आंखों के नीचे उभार या सूजन (Bags under your eyes) आंखों के नीचे बैग जैसी आकृति दरअसल आपकी पलकों के नीचे सूजन या सूजन जैसीउभार का इशारा है. यह आयु के साथ व अधिक बड़ा होता जाता है क्योंकि आपकी आंखों के आसपास की सहायक मांसपेशियां निर्बल पड़ जाती हैं. उन मांसपेशियों में लोच की कमी के कारण शुष्क स्कीन भी आई बैग बनाने में सहयोग कर सकती है. 'रिसर्च ट्रस्टेड सोर्स' ने अपने शोध में पाया है कि नींद की कमी के कारण होने वाला तनाव आयु बढऩे के कारणों को भी बढ़ाता है. जैसे चेहरे व स्कीन पर बारीक रेखाओं का उभरना, स्कीन का लचीलापन नष्ट होना व असमान पिगमेंटेशन. इतना ही नहीं स्कीन की लोच का नुकसान आपकी आंखों के नीचे बैग का भी कारण बन सकता है.
03. रूखी स्कीन (Dry skin) स्ट्रेटम कॉर्नियम आपकी स्कीन की बाहरी परत है. इसमें प्रोटीन व लिपिड होते हैं जो आपकी स्कीन की कोशिकाओं को हाइड्रेट रखने में जरूरी किरदार निभाते हैं. यह एक सुरक्षा घेरे के रूप में भी काम करता है जो स्कीन के नीचे की परत की रक्षा करता है. जब आपका स्ट्रेटम कॉर्नियम पूरी क्षमता से अपना कार्य नहीं कर पाता तब स्कीन शुष्क व खुजलीदार होने लगती है. 2014 के एक समीक्षात्मक शोध के अनुसार इन्फ्लेमेशन एंड एलर्जी ड्रग टार्गेट्स में प्रकाशित निष्कर्ष में चूहों पर किए गए अध्ययन के हवाले से बोला गया था कि तनाव आपके स्ट्रेटम कॉर्नियम के काम को बाधित करता है व स्कीन में नमी बनाए रखने की क्षमता को भी प्रभावित करता है. शोध की समीक्षा में यह भी उल्लेख किया गया है कि कई मानव अध्ययनों ने पाया गया कि वैवाहिक व्यवधान से उत्पन्न तनाव को दूर करने से स्कीन की बाधा को खुद ही अच्छा करने की क्षमता मिल जाती है व यह स्कीन के बूढ़े होने की प्रक्रिया को धीमा भी कर सकता है.
04. चकत्ते या झाइयां(Rashes) तनाव में हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली को निर्बल करने की क्षमता होती है. एक निर्बल प्रतिरक्षा प्रणाली हमारी आंत में उपस्थित 33 हजार से ज्यादा बैक्टीरिया के असंतुलन व डिस्बिओसिस के रूप में जानी जाने वाली स्कीन को जन्म दे सकती है. जब इस असंतुलन का प्रभाव हमारी स्कीन पर होता है तो स्किन पर यह चकत्ते, झाइयां, लालिमा या दाने का कारण बन सकता है. तनाव को कई हार्माेनिकल स्थितियों को ट्रिगर या उत्तेजित करने के लिए जाना जाता है. यह सोरायसिस, एक्जिमा व दाद की सूजन जैसे चकत्ते या सूजन वाली स्कीन का कारण भी बन सकता है.
05. झुर्रियां (Wrinkles) तनाव हमारी स्कीन में बनने वाले विभिन्न प्रोटीन के बदलाव का कारण भी बनता है व इसकी इलास्टिसिटी यानी लचक को कम करता है. लोच का यह नुकसान स्कीन की चुस्ती व खिंचाव के लिए जिम्मेदार कोशिकाओं में झुर्रियां पैदा कर सकता है. इतना ही नहीं तनाव से आपकी भौंह में बार-बार फुंसी हो सकती है जो झुर्रियों के निर्माण में योगदान करती है.
06. सफेद/ग्रे बाल, बाल झडऩा(Graying hair-hair loss) आमतौर पर बोला जाता है कि तनाव हमारे बालों को सफेद या ग्रे कर देता है. हालांकि, यह केवल हाल ही में वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि ऐसा क्यों होता है? दरअसल, मेलानोसाइट्स नामक कोशिकाएं मेलेनिन नामक एक वर्णक (pigment) का उत्पादन करती हैं जो आपके बालों को भूरा, काला, लाल, ब्लोंड रंग देता है. वर्ष 2020 में ही 'नेचर मैगजीन' में प्रकाशित एक शोध के अनुसार तनाव से सहानुभूति तंत्रिका गतिविधि (sympathetic nervous activity) स्टेम कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकती है जिससे मेलानोसाइट्स गायब होने लगते हैं. एक बार जब ये कोशिकाएं गायब हो जाती हैं तो नयी कोशिकाएं अपना रंग खो देती हैं व ग्रे या सफेद हो जाती हैं. क्रॉनिक स्ट्रैस यानी पुराने तनाव के कारण हमारे बालों के बढऩे की गति भी बाधित होने लगती है जो टेलोजेन इफ्लुवियम नामक स्थिति को जन्म दे सकता है. टेलोजन एफ्लुवियम की वजह से सामान्य की तुलना में बेहद मात्रा में बालों का झडऩा प्रारम्भ हो जाता है.
07. तनाव से चेहरे पर होने वाले अन्य कुप्रभाव (Other ways stress affects your face) तनाव इन संभावित उपायों से भी हमारे चेहरे पर प्रभाव डाल सकता है- अ। दांतों को नुकसान(Tooth Damage)- कई लोग तनाव या चिंता महसूस होने पर दांत पीसने की आदत अपना लेते हैं. समय के साथ, यह आपके दांतों को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है. ब। टेम्पोरोमैंडिबुलर ज्वाइंट डिसफंक्शन (TMD)- टीएमडी स्वास्थ्य समस्याओं का एक समूह है जो संयुक्त रूप से चहरे व शरीर को प्रभावित करता है. टेम्पोरोमेंडिब्यूलर वह भाग है जहां आपका जबड़ा आपकी खोपड़ी से जुड़ता है. यह आपके दांतों व मुंह में पायरिया या दुर्गंध आने का कारण होने कि सम्भावना है.
स। चेहरा निस्तेज होना (Face flushing)- तनाव होने पर हम अनियमित रूप से बहुत तेज या बहुत धीरे-धीरे सांस लेते हैं व इससे सामान्य रिद्म बिगड़ जाती है. सांस लेने की ये अनियमित आदतें आपके चेहरे को अस्थायी रूप से निस्तेज कर सकती हैं. द। होंठ चबाना (Sore lips)- तनाव महसूस होने पर कई लोगों में अपने होठों को चबाना या अजीब तरह से मुंह चलाने की आदत होती है जो हमारे चेहरे पर बुरा प्रभाव डालता है.
तनाव का सामना कैसे करें (How to cope with stress)- तनाव के कुछ प्रमुख कारणों में किसी प्रियजन की आकस्मित मृत्यु, करीबी रिश्तों में धोखा या अप्रत्याशित रूप से जॉब छूट जाना होता है. हालांकि, तनाव से निपटने व कम करने के ढंग भी उपस्थित हैं जो आपको इससे बेहतर तरीका से प्रबंधित करने में सहायता कर सकते हैं. -सबसे पहले तो आराम की गतिविधियों के लिए समय निर्धारित करें. उन गतिविधियोंमें मन लगाएं जो तनाव होने पर आपको सुकून देती हैं. -जीवनशैली की अच्छी आदतें बनाए रखें. लगातार स्वस्थ आहार खाने के साथ-साथ भरपूर नींद लेने से आपके शरीर को तनाव का बेहतर प्रबंधन करने में सहायता मिलेगी.
-हमेशा शारीरिक रूप से खुद को सक्रिय रखें. व्यायाम आपको अपने तनाव हार्मोन को संतुलित करने में सहायता करता है व आपको तनाव के कारण को दूर करने के लिए कुछ समय दे सकता है. -तनाव होने पर बात करना बंद न करें बल्कि अपने करीबी लोगों से संवाद करें. कोई एक दोस्त, परिवार के मेम्बर या मानसिक स्वास्थ्य जानकार से बात करने से कई लोगों को तनाव से निपटने में सहायता मिलती है. -बेवजह कि एंटी-डिप्रेशन या स्ट्रैस की दवाओं व शराब पीने से बचें. दवाओं व अल्कोहल का लगातार उपयोग तनाव की अलावा समस्या पैदा कर सकता है.