हिंदू धर्म में हर काम को लेकर कुछ परंपराओं का पालन किया जाता है। व्यक्ति के जन्म से लेकर उसकी मृत्यु तक रीति- रिवाजों को अपनाना पड़ता है। नहीं तो समाज की तरह-तरह की बातें सुनने को मिल सकती है। वहीं बात अगर किसी के निधन की करें तो इसमें भी कई तरह की परंपराएं प्रचलित है। माना जाता है कि किसी की मृत्यु के 11वें या 13 वें दिन व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलने के भोज का आयोजन किया जाता है। इसमें उनके सभी रिश्तेदार, पंडितों को बुलाकर विधिपूर्वक हवन करने के बाद उन्हें भोजन खिलाया जाता है। मगर यहां हम आज बात कर रहें है ऐसे बेटों की जिन्होंने अपनी मां के देहांत के बाद उसके नाम का भोज आयोजित करने की जगह उसके नाम को समर्पित कर 21 पौधे लगा कर समाज के आने एक नई मिसाल कायम की है।
21 पौधे लगाकर कायम की मिसाल
यह परिवार दरभंगा के गांधीनगर कटरहिया मोहल्ले के रहने वाले हैं। दरभंगा के रहने वाले शंभू महतो की बेटी रूबी का देहांत 14 अगस्त को हुआ था। वे अपने परिवार के साथ अपने पिता के घर पर रहती थी। उसके परिवार में उसका पति और 2 बेटे है। वहीं जब उसका निधन हुआ तो उनके परिवार वालों ने रूबी का अंतिम संस्कार के बाद उनकी तेरहवीं में भोज का आयोजन करने की जगह उनके नाम पर 21 पौधे लगाने का सोचा। ऐसे में बच्चों ने भी उनकी बात को मानते हुए पौधे लगाने का काम खुद करने का फैसला लिया। ऐसे में मृतक महिला के दोनों बच्चे अंशु और अमित ने अपनी मां की आत्मा की शांति की प्रार्थना करते हुए उनकी याद में 21 फलदार पौधे लगाए।
वहीं मृतक के परिवार वालों का कहना है कि उनको इन पौधे लगाने से ऐसा अहसास होगा की उनका परिवार अधूरा नहीं है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि मन की शांति सच्चे दिल से किसी की सेवा करने से पाई जाती है। इसी वजह से उन्होंने रूबी काे निधन की 13वें भोज का आयोजन न कर वातावरण की भलाई के लिए पौधारोपण करना सही समझा। असल में, हमें किसी की मृत्यु होने के बाद सिर्फ भोज ही नहीं बल्कि अन्य कुछ समाज कल्याण से जुड़े काम करने चाहिए। ताकि मरने वाले की आत्मा को शांति मिलने के साथ उसके पीछे परिवार को ऐसा ही अहसास होता रहे कि उनका वह सदस्य अभी उनके बीच ही है। ऐसे में निधन के बाद भोज करवाना इतना जरूरी नहीं माना जा सकता है।