Mahalaxmi Vrat Udyapan Vidhi : यहां पढ़ें महालक्ष्मी व्रत की पूर्ण उद्यापन विधि

पंचांग के मुताबिक भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी का व्रत की शुरूवात होती हैं। जो कल यानी की मंगलवार 25 अगस्त से हो चुकी हैं। यह व्रत पूरे 16 दिनों तक रखा जाता हैं आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को इसका समापन किया जाता हैं

महालक्ष्मी व्रत करने से मनुष्य को सुख, शांति, समृद्धि, संपन्नता और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती हैं तो आज हम आपको महालक्ष्मी व्रत की उद्यापन विधि बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
जानिए श्री लक्ष्मी महामंत्र-
"ओम श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।।"
पढ़ें श्री लक्ष्मी बीज मंत्र-
"ओम श्रींह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मी नम:।।"
ज्योतिष के मुताबिक श्री लक्ष्मी बीज मंत्र का जाप करने से मनुष्य के भाग्योदय में सहायता मिलती हैं माता लक्ष्मी के महामंत्र का जाप करने से धन, संपदा, वैभव और ऐश्वर्य को स्थिरता प्राप्त हाती हैं ऐसा भी कहा जाता हैं कि लक्ष्मी चंचला होती हैं इसलिए लक्ष्मी महामंत्र का जाप बहुत ही कल्याणकारी होता हैं।
जानिए महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन- महालक्ष्मी व्रत का प्रारंभ करते वक्त अपने हाथ में हल्दी से रंगे 16 गांठ का रक्षासूत्र बांधते हैं आखिरी दिन यानी की 16वें दिन की पूजा के बाद इसे विसर्जित किया जाता हैं 16वें दिन महालक्ष्मी व्रत का उद्यापन होता हैं उस दिन पूजा में मां लक्ष्मी की प्रिय वस्तुएं रखी जाती हैं
उद्यापन के समय 16 वस्तुओं का दान बहुत ही शुभ माना जाता हैं हर वस्तु की संख्या 17 रखी जाती हैं जिसमें चुनरी, बिंदी शीशा, सिंदूर, कंघा, रिबन, नथ, रंग, फल, बिछिया, मिठाई, रुमाल, मेवा, लौंग, इलायची और पुए होते हैं पूजा के बाद मां लक्ष्मी की आरती करना बहुत ही जरूरी होता हैं।

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