सोनिया गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़ने का संकेत दे दिया है. मौजूदा समय में सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के होने के बावजूद कांग्रेस को 'गांधी परिवार' से मुक्त रखने की दिशा में कदम बढ़ाया जा रहा है. राहुल ने एक लकीर भी खींच दी है कि कांग्रेस का नया अध्यक्ष 'गांधी परिवार' के बाहर का ही होगा, जिस पर प्रियंका भी सहमत हैं. ऐसे में आखिर क्या वजह है कि गांधी परिवार के तीन सदस्य कांग्रेस में होने के बावजूद पार्टी की कमान अपने किसी गैर गांधी परिवार के नेता के हाथों में सौंपना चाहते हैं? सोनिया गांधी अपनी पारी खेल चुकींसोनिया गांधी अध्यक्ष पद से राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से सोनिया गांधी पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं और पार्टी नेता चाहते हैं कि जल्दी से जल्दी संगठन को पूर्णकालिक अध्यक्ष मिले. दस अगस्त को सोनिया का कार्यकाल खत्म हो रहा था, जिसे बढ़ा दिया गया है. हालांकि, सोनिया गांधी की उम्र और सेहत अब संगठन के कामकाज का बोझ बर्दाश्त करने की इजाजत नहीं देती. विगत ढाई दशक तक पार्टी पर सोनिया गांधी का वर्चस्व रहा और अब वो अपनी राजनीतिक पारी खेल चुकी हैं और अब उनके नेतृत्व को जब पार्टी के एक धड़े ने चुनौती दी तो उन्होंने कांग्रेस की कमान छोड़ने का संकेत दे दिया है. राहुल गांधी पहली पारी में फेल रहेराहुल गांधी करीब दो दशक से राजनीति में सक्रिय हैं और संगठन के कई पदों पर रहते हुए कांग्रेस के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. लोकसभा चुनाव में पार्टी को अब तक की सबसे बड़ी चुनाव हार मिलने के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था. कांग्रेस अध्यक्ष छोड़े हुए राहुल गांधी को एक साल से ज्यादा हो रहा है, लेकिन अभी भी वो पार्टी अध्यक्ष पद संभालने को लेकर कोई सकारात्मक संकेत नहीं दे रहे हैं. पिछले दिनों हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में अशोक गहलोत, दिग्विजय सिंह, भूपेश बघेल आदि नेताओं ने राहुल गांधी को फिर अध्यक्ष बनाने की मांग की थीरिष्ठ पत्रकार उमाकांत लखेड़ा कहते हैं कि राहुल पार्टी के नेता तो बनना चाहते हैं लेकिन वह चाहते हैं कि संगठन की कमान किसी गैर गांधी परिवार के नेता को मिले. इससे राहुल को जनता के बीच जाने का ज्यादा समय मिल सकेगा और वह संगठन के झमेलों से दूर भी रहकर मोदी सरकार के खिलाफ अपने अभियान को तेज कर सकेंगे. राहुल की यह कोशिश है कि एक बार जनता में उनकी स्वीकार्यता बन गई तो पार्टी अपने आप उनके पीछे चलेगी. हालांकि, इसलिए वह गांधी परिवार से बाहर के अपने किसी वफादार नेता को अध्यक्ष पद पर बिठाना चाहते हैं ताकि समय आने पर उनके लिए आसानी से कुर्सी छोड़ सके. प्रियंका खुद को यूपी तक रखना चाहती हैंगांधी परिवार के तीसरे सदस्य के तौर पर प्रियंका गांधी हैं, जिन्होंने कांग्रेस महासचिव के साथ-साथ यूपी का प्रभार संभाल रखा है. कांग्रेस नेताओं का एक गुट प्रियंका गांधी को अध्यक्ष पद देने की मांग कर रहा है. लखनऊ से राजनाथ सिंह के खिलाफ कांग्रेस के टिकट पर खम ठोकने वाले कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम इसके अगुआ हैं. उनका कहना है कि अगर राहुल गांधी नहीं तैयार हो रहे हैं, तो प्रियंका गांधी को यह जिम्मेदारी संभालनी चाहिए, लेकिन प्रियंका गांधी इससे इनकार कर चुकी हैं. प्रियंका भी अपने भाई की तर्ज पर गांधी परिवार से बाहर के किसी नेता को पार्टी की कमान सौंपने का समर्थन कर रही हैं. वरिष्ठ पत्रकार शकील अख्तर कहते हैं कि प्रियंका गांधी अभी राष्ट्रीय राजनीति के लिए फिट नहीं हैं. अभी उनका पूरा फोकस उत्तर प्रदेश पर है, जो एक बड़े टास्क के रूप में उन्हें मिला हुआ है. प्रियंका गांधी खुद भी साफ तौर पर कह चुकी हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष के लिए राहुल गांधी ही पार्टी में सबसे बेहतर विकल्प हैं. ऐसे में राहुल के राजनीति में रहते हुए वो पार्टी की कमान नहीं संभालेंगी. प्रियंका तभी आगे आएंगी जब राहुल राजनीति से दूर हो जाते हैं. वहीं, वरिष्ठ पत्रकार रशीद किदवई भी कहते हैं कि प्रियंका गांधी को भले ही अध्यक्ष बनाने की मांग उठती रही हो, लेकिन वो यूपी से बाहर अभी नहीं निकलना चाहती हैं. प्रियंका और राहुल ने अपने-अपने सियासी दायरे तय कर रखे हैं. प्रियंका गांधी यूपी की योगी सरकार पर ही हमलावर रहती हैं जबकि राहुल मोदी सरकार को लेकर हमलावर हैं. इससे दोनों के राजनीतिक मकसद को भी समझा जा सकता है. साथ ही एक बड़ी वजह यह भी है कि प्रियंका अभी फिलहाल कोई ऐसा कदम नहीं उठाना चाहती हैं, जिससे पार्टी में दूसरे पावर सेंटर स्थापित हो जाएं.