ब्रिटेन स्थित ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय (Oxfor University) में शोधकर्ताओं की ओर से शहद (Honey) के चिकित्सकीय गुणों व कोरोना संक्रमण (Corona Covid-19) में शहद के असर के परिणामों को जांचने के लिए एक महाशोध (Meta Study) की गई.
शोध में वैज्ञानिकों ने पाया कि सर्दी व हल्की खांसी (Cold and Flu) में अन्य सामान्य चिकित्सकीय तरीकों की तुलना में श्वसन संबंधी हल्के संक्रमण (जैसे कोरोना के कम गंभीर लक्षण वाले रोगियोंमें होता है) व खांसी के लक्षणों को कम करने के लिए शहद अधिक प्रभावी पाया गया. ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं की तिकड़ी से एक नयी व्यवस्थित समीक्षा व मेटा-विश्लेषण दरअसल, ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण (URTI) के लिए पहली पंक्ति के इलाज के रूप में शहद के बेहतर असर की पुष्टि की है. अध्ययन से यह भी पता चलता है कि एंटीबायोटिक्स (Antibiotics) इस प्रकार की छोटी-मोटी खांसी व जुकाम के लिए अप्रभावी हैं. जबकि एंटीबायोटिक्स की तुलना में शहद अभी तक मिले शोध साक्ष्यों के अनुसार बेहतर राहत प्रदान करता है.
सर्दी-जुकाम में शहद लिखें डॉक्टर शोधकर्ताओं ने बताया कि शहद में ताकतवर एंटी-माइक्रोबियल तत्व होते हैं. शहद की इसी चिकित्सकीय शक्ति को देखते हुए 2018 में यूके के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ एंड केयर एक्सिलेंस एंड पब्लिक हेल्थ ने इंग्लैंड के डॉक्टरों व स्वास्थ्य देखभाल करने वाले पेशेवरों के लिए अपनी सामान्य सिफारिशों को बदलते हुए हल्की खांसी व जुकाम के रोगियों को एंटीबॉयोटिक्स दवाओं के बजाय शहद देने को कहा. हालांकि यह सिफारिश आपॅक्सफोर्ड के इस हालिया शोध की तुलना में ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण से उत्पन्न विभिन्न लक्षणों के उपचार में शहद की प्रभावशीलता को देखते हुए कई अपुष्ट अध्ययनों पर आधारित थीं. दरअसल, वैज्ञानिक इस शोध के माध्यम से अनावश्यक एंटीबायोटिक उपचारों को कम करना चाहते थे.
बच्चों की खांसी-जुकाम पर थे पूर्व शोध इस विषय पर एकमात्र पूर्व व्यवस्थित शोध भी दरअसल, बच्चों की खांसी-सर्दी-जुकाम के उपचार में शहद के प्रभावों पर केंद्रित थी. लेकिन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के नए शोध में सभी बीमार सहकर्मियों में नैदानिक परीक्षण (Clinical Dignostics) के आंकड़ों की पहली व्यापक समीक्षा की गई है. शोध में इस बात पर ध्यान केन्द्रित किया गया है कि क्या शहद इलाज के दूसरे उपायों की तुलना में ऊपरी श्वसन पथ (URTI) के लक्षणों के इलाज में अधिक प्रभावी है. नए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने 14 क्लिनिकल डायग्रोस्टिक्स पर ध्यान दिया जो ऊपरी श्वसन पथ के संक्रमण का उपचार करने वाले शहद की प्रभावकारिता दिखाते हैं. अध्ययन में शामिल परीक्षण निश्चित रूप से बहुत ज्यादा विविध थे. केवल दो परीक्षणों ने विशेष रूप से शहद की तुलना एक प्लेसिबो से की, जबकि बाकी विभिन्न प्रकार के 'सामान्य देखभाल' रणनीतियों के खिलाफ शहद से मेल खाते थे, एंटी-हिस्टामाइन इलाज के लिए ओवर-द-काउंटर खांसी सिरप से.
यूआरटीआइ का रामबाण उपचार शहद शोधकर्ताओं ने पाया कि सभी सामान्य देखभाल उपचारों की तुलना में ऊपरी श्वसन पथ के उपचार में शहद अधिक प्रभावी था. अध्ययन में उल्लेखित मुख्य सीमा सीधे शहद की प्रभावकारिता की जाँच करने वाले प्लेसीबो-नियंत्रित परीक्षणों की कमी थी. इसलिए शोधकर्ताओं ने सिफारिश की है कि इसके प्रभावों की जाँच करने के लिए उन्हें एक बड़े प्लेसीबो-नियंत्रित परीक्षण की जरूरत है. इसलिए ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने नए मेटास्टडी के जरिए शहद के प्रभावों की जाँच करने की ठानी. उन्होंने निष्कर्ष निकाला है कि शहद सस्ता भी है व उपयोग करने में सरल है. जब डॉक्टर यूआरटीआई के लिए शहद देने की सिफारिश करते हैं तो उनका तात्पर्य एंटीबायोटिक दवाओं के विकल्प के रूप में शहद देना है. क्योंकि हनी सामान्य देखभाल विकल्पों की तुलना में अधिक प्रभावी व कम हानिकारक है.
यह भी बोला शोधकर्ताओं ने शोधकर्ताओं ने साफ तौर पर बोला कि सभी शहद समान प्रक्रिया से नहीं बनाए जाते हैं. वे कहते हैं कि शहद एक जटिल व विषम पदार्थ है, इसलिए कुछ प्रकार के शहद खांसी व जुकाम के उपचार में अधिक प्रभावी हो सकते हैं. हालांकि, क्लिनिकल परीक्षणों में प्रयोग किए गए शहद के व्यापक प्रकार के बावजूद उनके परिणाम बहुत ज्यादा सुसंगत थे. यह एक निश्चित इशारा देता है कि कुछ शहद दूसरे शहद की तुलना में अधिक प्रभावी हो सकते हैं. हालांकि हर शहद के अपने-अपने औषधीय गुण होते हैं. यह नया अध्ययन बीएमजे एविडेंस बेस्ड मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ था.