जयपुर। स्वच्छ सर्वेक्षण में मध्य प्रदेश के इंदौर शहर चौथी बार पहला स्थान प्राप्त करने में सफल हुआ है। गुजरात का सूरत दूसरे स्थान पर तो महाराष्ट्र की नवी मुम्बई तीसरे स्थान पर रही।
राजस्थान में राजधानी जयपुर को अबतक की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग मिली है। सफाई के मामले में जयपुर प्रदेश में प्रथम स्थान पर रहा है और देशभर के 4 हजार शहरों में 28वें स्थान पर आया है।
सफाई में टॉप 30 शहरों में जोधपुर ने भी जगह बनाई और 29वां स्थान प्राप्त किया।
यह सब इसलिए हो पाया, क्योंकि सर्वेक्षण से पूर्व जयपुर में सफाई के लिए काफी काम हुआ, लेकिन वर्तमान में सफाई के हालात काफी नासाज हैं।
शहर में अनलॉक शुरू होते ही फिर से कचरे के ढेर लगने लगे हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 के दौरान तत्कालीन महापौर विष्णु लाटा, नगर निगम के पार्षदों ने शहर की रैंकिंग सुधारने के लिए जमकर काम किया।
अधिकारियों को लगातार शहर को स्वच्छ बनाने के लिए काम में लगाए रखा गया। इसी का परिणाम है कि शहर की रैंकिंग में सुधार हुआ।
स्वच्छ सर्वेक्षण-2020 नगर निगम जयपुर को 4 हजार शहरों में 28वां स्थान प्राप्त हुआ है। इससे पहले जयपुर की रैंकिंग 44वीं थी। कुल छह हजार नम्बर के सर्वेक्षण में से जयपुर को 3660.39 नंबर मिले हैं।
स्वच्छ सर्वेक्षण में 1500-1500 नंबर के 4 कंपोनेंट शामिल थे। इनमें सर्विस लेवल प्रोग्रेस में 991.29, सर्टिफिकेशन में 500, डायरेक्ट ऑब्जर्वेशन में 1101 और सिटीजन फीडबैक में 1068.10 नंबर मिले हैं।
नगर निगम ग्रेटर के आयुक्त दिनेश कुमार यादव और हैरिटेज आयुक्त लोकबंधु ने इसके लिए शहरवासियों को बधाई दी है।
निगम अधिकारियों का कहना है कि स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 की शुरूआत हो चुकी है। इस बार नगर निगम ग्रेटर और हेरिटेज अलग-अलग इसमें शामिल होंगे।
इस बार लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए कई बदलाव किए गए हैं। स्टार रेटिंग के नए पैरामीटर में लोगों का फीडबैक महत्वपूर्ण होगा। फीडबैक के अंग भी बढ़ाकर 1500 से 1800 किए गए हैं।
नगर निगम के निवर्तमान पार्षद अनिल शर्मा का कहना है कि सर्वेक्षण के दौरान टीम वर्क से काम किया गया, जिसका सुखद परिणाम मिला है, लेकिन अब बोर्ड नहीं होने से शहर की सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट हो चुकी है।
सबसे प्रमुख काम डोर-टू-डोर कचरा संग्रहण नहीं हो पा रहा है। डोर-टू-डोर कंपनी सिर्फ कचरा डिपो से कचरा उठा रही है। शहर में सीवर लाइनें चोक पड़ी है।
सड़कों पर बारिश के कारण गड्ढे हो चुके हैं, लेकिन कोई सुध लेने वाला नहीं है। अधिकारी निरंकुश हो चुके हैं और जनता की सुनवाई नहीं हो पा रही है।
लगता है कि सरकार का निगम प्रशासन पर नियंत्रण ही नहीं रहा है। वल्र्ड हैरिटेज सिटी बन चुके जयपुर में सफाई की स्थिति चिंताजनक है।