बक्सर : लॉकडाउन के प्रतिबंधों के बीच कोई आम दुकानदार पांच-दस मिनट शटर गिराने में देरी कर दे तो उसकी शामत आ जाती है। चौसा में प्रतिबंधों के बीच अवैध रूप से साप्ताहिक पशु मेला का संचालन बुधवार को हुआ, लेकिन न तो किसी पर कार्रवाई हुई और न ही मेला का संचालन रोकने को प्रभावी कदम उठाए गए। खास बात यह है कि केंद्र और राज्य सरकार दोनों के गाइडलाइन में किसी भी तरह के मेला के आयोजन पर अभी रोक है।
ऐसे में वैध मेला का भी आयोजन नहीं हो सकता है। ऐसे में अवैध पशु मेला का संचालन होने पर लोगों ने हैरानी जताई। स्थानीय लोगों ने बताया कि मेला खोले जाने पर पहले से ही रोक लगी हुई है ऊपर से लॉक डाउन, बावजूद मेला का पहले की तरह आयोजन हुआ। मेले में होने वाले भीड़ से संक्रमण फैलने खतरा बढ़ने की आशंका प्रबल हो गई है। आश्चर्य की बात तो यह है को रोक के लिए दिन में कई बार इस रास्ते से गुजरने वाले प्रशासनिक अधिकारियों की निगाह भी इस पर नहीं पड़ी। गौरतलब हो कि इन दिनों जिले के साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमण से ग्रसित मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। जिसके वजह से राज्य में 6 सितम्बर तक के लिए लॉक डाउन लगाया गया। वहीं, सामाजिक दूरी व शारीरिक दूरी के साथ मास्क लगाना जरूरी है। जबकि, मेला में इन नियमों के पालन का भी कोई मतलब नहीं दिख रहा था। बता दें कि, चौसा का साप्ताहिक पशु मेला में दूर-दराज से पशु लाये जाते हैं और गैरकानूनी रूप से उन्हें बाहर भेजा जाता है। कई बार मानकों की अनदेखी को लेकर पशु मेला को बंद कराया गया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि कुछ अधिकारियों के आशीर्वाद से अवैध मेला चलता है। वहीं, जिलाधिकारी अमन समीर ने पूछे जाने पर कहा कि वे इस मामले को देखेंगे और प्रभावी कदम उठाएंगे।
Posted By: Jagran
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