कोरोना वायरस की दवाई को लेकर खुशखबरी है कि इसका टीका सबसे पहले भारतीयों को लग सकता है जिसके लिए कोशिशें जारी हैं। इस कोरोना वैक्सीन को पाने की भारत सरकार ने तैयारी पूरी कर ली है। यह ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी-अस्त्राजेनेका की वैक्सीन 'कोविशील्ड' है। भारतीयों के लिए 2020 के आखिर तक यह टीका उपलब्ध हो सकता है।भारत सरकार देश में डेवलप किए जा रहे कोरोना टीकों पर भी नजर बनाए हुए है। सरकार को लगता है कि ये टीके भी ऑक्सफर्ड टीके के कुछ दिन ट्रायल में क्लियर होने के बाद मार्केट में उतर सकते हैं। मगर रेस में सबसे आगे ऑक्सफर्ड की वैक्सीन है। पुणे की कंपनी सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इस वैक्सीन के प्रॉडक्शन में अस्त्राजेनेका की पार्टनर है। भारत में जिन तीन वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है, उनमें से सबसे आगे ऑक्सफर्ड का टीका ही है।SII ने ऑक्सफर्ड टीके का फेज 2 और 3 ट्रायल शुरू कर दिया है। देश के 17 शहरों में 18 साल से ज्यादा उम्र वाले करीब 1,600 लोगों पर इस वैक्सीन का ट्रायल हो रहा है। एक सूत्र ने कहा, "अगर टीके को मंजूरी मिलती है और चूंकि यह भारत में ही बन रहा है तो इसका इस्तेमाल ही तर्कसंगत होगा।"भारत में बनी Covaxin और Zycov-D अभी फेज 1 और 2 के ट्रायल में हैं। देश में कोरोना वैक्सीन का सबसे बड़ा ट्रायल SII कर रहा है, जबकि बाकी दोनों वैक्सीन का एक हजार से लेकर 1,100 लोगों पर ट्रायल हो रहा है।ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी के टीके का फेज 1 और 2 ट्रायल यूनाइटेड किंगडम में पूरा हो चुका है। वैक्सीन के शुरुआती नतीजे पॉजिटिव रहे हैं। वैक्सीन की डोज देने के 28 दिन के भीतर ऐंटीबॉडी रेस्पांस डेवलप होता है। दूसरी 'बूस्टर' डोज देने पर ऐंटीबॉडी रेस्पांस और ज्यादा हो जाता है।