कुशोत्पाटिनी अमावस्या आज, जानिए क्या है पूजन का शुभ मुहूर्त

अमावस्या तिथि को हिंदू धर्म में बहुत ही खास महत्व दिया जाता हैं वही आज 18 अगस्त यानी मंगलवार को कुशोत्पाटिनी अमावस्या हैं यह भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या के पूर्वान्ह में मानी जाती हैं वही मान्यताओं के मुताबिक धार्मिक कार्यों, श्राद्ध कर्म आदि में प्रयोग की जाने वाली घास अगर इस दिन एकत्रित की जाए तो वह सालभर तक पुण्य फलदायी होती हैं

बिना कुशा के की गई पूजा निष्फल मानी जाती हैं ऐसे में चाहें कोई भी पूजा हो कुशा का होना बहुत ही जरूरी होता हैं इस दिन तोड़ी गई कोई भी कुशा साल भर पवित्र रहती हैं तो आज हम आपको कुशोत्पाटिनी अमावस्या के मुहूर्त और महत्व के बारे में बताने जा रहे हैं तो आइए जानते हैं।
कुशोत्पाटिनी अमावस्या मंगलवार 18 अगस्त यानी की आज दिन में 9: 28 मिनट से लगकर बुधवार 19 अगस्त को सुबह 8:03 बजे तक रहेगी। अगर पूर्वाह्न में दो दिन अमावस्या हो तो पहले दिन मनानी चाहिए। अत मंगलवार 18 अगस्त को दिन 9:28 मिनट के बाद ही कुशोत्पाटिनी अमावस्या मनाई जाएगी।
पूजाकाले सर्वदैव कुशहस्तो भवेच्छुचि:।
कुशेन रहिता पूजा विफला कथिता मया॥
वही किसी भी पूजा में इसलिए ही ब्राह्मण, यजमान को अनामिका उंगली में कुश की बनी पवित्री पहनाते हैं शास्त्रों में दस प्रकार का कुशों का वर्णन मिलता हैं इनमें जो मिल सके, उसी को ग्रहण करें।
कुशा: काशा यवा दूर्वा उशीराश्च सकुन्दका:।
गोधूमा ब्राह्मयो मौञ्जा दश दर्भा: सबल्वजा:।।
वही दस तरह का कुश बताया गया हैं इनमें जो मिले उसे ही ग्रहण कर लेना चाहिए। जिस कुशा का मूल सुतीक्षण हो, अग्रभाग कटा न हो और हरा हो, वह ही देव और पितृ दोनों कार्यों के लिए योग्य मानी जाती हैं। इसके लिए अमावस्या को दर्भस्थल में जाएं। फिर पर्व या उत्तर मुख बैठे। कुश को उखाड़ने के पूर्व प्रार्थना जरूर करनी चाहिए।
कुशाग्रे वसते रुद्र: कुश मध्ये तु केशव:।
कुशमूले वसेद् ब्रह्मा कुशान् मे देहि मेदिनी।।
'विरञ्चिना सहोत्पन्न परमेष्ठिन्निसर्गज।
नुद सर्वाणि पापानि दर्भ स्वस्तिकरो भव।।

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