चरक संहिता में त्रिफला को सर्वश्रेष्ठ माना गया है. यह तीन चीजों पीली हरड़, आंवला व बहेड़ा के मिलावट से बनता है. विभिन्न रोगों में इसका
प्रयोग साबुत या चूर्ण के रूप में किया जाता है. आयुर्वेद में त्रिफला को विभिन्न ऋतुओं के अनुरूप भिन्न-भिन्न चीजों के साथ लेने की सलाह दी गई है. महीने के अनुसार- श्रावण-भाद्रपद (अगस्त- सितम्बर) में सेंधा नमक के साथ. अश्विनी-कार्तिक (अक्टूबर-नवम्बर) में चीनी या शक्कर से. मार्गशीर्ष-पौष (दिसम्बर-जनवरी) में सौंठ के चूर्ण के साथ. माघ-फाल्गुन (फरवरी-मार्च) में छोटी पीपल के साथ. चैत्र-वैशाख (अप्रैल-मई) में इसे शहद में मिलाकर लेना लाभकारी है. ज्येष्ठ-आषाढ़ (जून-जुलाई) में गुड़ के साथ. ऐसे लें- सेंधा नमक, चीनी, शक्कर या गुड़ आदि के साथ बच्चों को आधा चम्मच और बड़ों को 1-1 चम्मच सुबह-शाम पानी के साथ दें. ध्यान रहे खाली पेट लेना लाभदायक है. भोजन से आधा घंटा पहले या आधा घंटा बाद में लें. लाभ: ऋतुओं के अनुसार सालभर लेने से शारीरिक कमजोरी दूर होने के साथ स्कीन संबंधी परेशानियां भी दूर होती हैं. पेट से जुड़े रोग जैसे कब्ज, अपच व दर्द में आराम मिलता है. सिर की मांसपेशियां मजबूत होती हैं.