इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, चेन्नई (IIT Chennai) के शोधकर्ताओं ने हाल ही किए अपने एक शोध में पाया कि हल्दी (Turmeric) व उसमें पाया जाने वाला करक्यूमिन (करक्यूमिन को हल्दी में सबसे एक्टिव सामग्री के तौर पर जाना जाता है.
हल्दी के फायदे अधिकांश इसमें उपस्थित करक्यूमिन से ही आते हैं) से सक्रिय एंटीबॉडी (active principle) कैंसर की कोशिकाओं को नष्ट करने में सक्षम हैं. अध्ययन से यह भी पता चला है कि करक्यूमिन ने ल्यूकेमिया (leukaemia cells) कोशिकाओं की संवेदनशीलता को टीएनएफ संबंधित एपोप्टोसिस-इंडिगिंग लिगेंड (TRAIL) के लिए व ज्यादा सक्रिय कर दिया. बढ़ा दिया है. ट्रेल दरअसल, एक प्रोटीन है जो कैंसर कोशिकाओं को मारने का कार्य करता है. स्कूल ऑफ बायोसाइंसेज, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, आईआईटी मद्रास के शोध के प्रमुख प्रो। रमा शंकर वर्मा, भूपत व ज्योति मेहता ने यह शोध किया है. यह शोध हाल ही मशहूर पीयर-रिव्यू जर्नल फार्माकोलॉजिकल रिपोट्र्स में प्रकाशित हुए हैं. शोधकर्ताओं ने बताया कि रिसर्चके परिणाम इन-सीटू (एक टेस्ट ट्यूब में) में परीक्षण किया गया है. इसलिए यह निश्चित तौर पर नहीं बोला जा सकता कि नतीजे मानव शरीर पर भी क्लिीनिकल परीक्षण की तरह ही प्रभावी होंगे. दरअसल हमारी आंत में उपस्थित रक्त हल्दी में उपस्थित करक्यूमिन को अवशोषित करने में निर्बल है, इसलिए अनुसंधान की प्रभावकारिता के बारे में शक हैं.
प्याज, हरी-काली मिर्च भी सहायक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, मद्रास के शोधकर्ताओं के इस शोध ने बताया कि हल्दी व करक्यूमिन कैंसर कोशिकाओं को समाप्त करने की नयी रोशनी दिखाई है. अध्ययन से पता चला कि करक्यूमिन के अतिरिक्त कुछ शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि प्याज व ग्रीन टी में पाए जाने वाले क्वेरसेटिन व काली व हरी मिर्च में पाए जाने वाले पाइपरजीन जैसे तत्व भी कक्र्यूमिन के अवशोषण को बढ़ाते हैं.
शोध इसलिए है महत्त्वपूर्ण वैज्ञानिकों ने करक्यूमिन को कैंसररोधी होने की क्षमता व विभिन्न कैंसर कोशिकाओं में एपोप्टोसिस को सक्रिय करने की क्षमता के कारण एक एंटी-कैंसर एजेंट माना जाता है. वहीं एपोप्टोसिस को केंसर सैल्स को समाप्त करने के लिए जाना जाता है व यही वजह है कि पारंपरिक रूप से कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए इसका प्रयोग किया जाता है. शोधकर्ताओं ने विश्लेषण के लिए संबंधित व विविध बीमार समूहों के आइसोटाइप नियंत्रण का उपयोग किया. उन्होंने ल्यूकेमिक कोशिकाओं में टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ल पाथवे को संशोधित करने के लिए करक्यूमिन की क्षमता की जाँच की.
ल्यूकेमिया के उपचार में भी कारगर करक्यूमिन के साथ संयोजन में ट्रेल ल्यूकेमिया के इलाज व प्रबंधन के लिए एक प्रभावी चिकित्सीय रणनीति हो सकती है. शोधकर्ताओं ने एक एकल एजेंट का उपयोग करने पर प्राथमिक ल्यूकेमिक कोशिकाओं में ट्रेल की छोटी चिकित्सीय दक्षता दिखाई दी. इसके विपरीत, जब करक्यूमिन के साथ उपयोग किया गया तब यह बीमार के नमूनों में से अधिकतर में जरूरी सुधार दिखा रहा था. इसलिए शोधकर्ताओं ने बोला कि सबसे अच्छी रणनीति अन्य एंटी-कैंसर एजेंटों के साथ ट्रेल को मिलाना है. नतीजा यह होता है कि यह संयोजन प्रतिरोध तंत्र को बायपास करेगा व इसलिए, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया ल-एपोप्टोसिस के लिए कैंसर कोशिकाओं को ज्यादा संवेदनशील बनाकर ट्रेल प्रक्रिया के द्वारा उसे समाप्त करने में सहायता करता है.