मांसपेशियों का तनाव कम करने के लिए करे वॉकिंग

भ्रमण ध्यान (Walking Meditation) की उत्पत्ति बौद्ध धर्म में हुई है व इसे एक ध्यान एक्सरसाइज (Meditation Practice) के रूप में प्रयोग किया जाता है. चलने या टहलने से शरीर में लचीचालपन बढ़ता है व मांसपेशियों का तनाव कम होता हैए जिससे आप शारीरिक रूप से बेहतर महसूस करते हैं.

प्रातः काल के समय जब आप वॉकिंग मेडिटेशन करते हैं,तो एंग्जाइटी, स्ट्रेस दूर होता है. इस तकनीक के कई फायदा हैं जो आपको जमीन से जुड़ाव, अधिक संतुलित व निर्मल महसूस करने में सहायता करता है. आमतौर पर वॉकिंग मेडिटेशन के दौरान हम या तो एक सर्कल में चलते हैं, या एक सीधी रेखा में या किसी भूलभुलैया में. लंबी दूरी तक पैदल चलना भी इस ध्यान अवस्था में संभव है. इसमें चलने की गति धीमी होती है व भिन्न-भिन्न विशिष्ट तकनीक के आधार पर भिन्न हो सकती है. अक्सर, इसका एक्सरसाइज करने वाले बैठे हुए ध्यान करने के दौरान ही वॉकिंग मेडिटेशन भी करते हैं. इसमें किनहिन, थेरावदा व विपश्यना शामिल है. ध्यान की इस तकनीक को ६ चरणों में विभाजित या किसी जगह पर ध्यानपूर्वक टहलने के रूप में विस्तृत किया जा सकता है. ऐसा करते समय आप अपनी सांस या किसी मंत्र को भी शामिल कर सकते हैं.
भ्रमण ध्यान का स्वरूप कैसा है भ्रमण ध्यान, दरअसल, वॉक करते समय किया जाने वाले मेडिटेशन यानि ध्यान है. आमतौर पर लोग बैठकर ध्यान करते हैं, लेकिन चलते हुए मेडिटेशन करने से आपकी वॉक व अभ्यास के अतिरिक्त मेडिटेशन भी होगा व एनर्जी भी जनरेट होती है. इस मेडिटेशन की खास बात है किए यह आमतौर पर नियमित रूप से चलने की तुलना में धीमी गति से किया जाता है. मन को एकाग्र करने के लिए मेडिटेशन यानि ध्यान करना बहुत अच्छा उपाय है. लेकिन भागदौड़ भरी जिन्दगी में लोगों के पास एक स्थान बैठकर ध्यान करने के लिए समय नहीं है. यह एक कला है जो ऑफिस, पार्क में चलते हुए, दैनिक काम करते हुए, मार्केट से सामान खरीदते हुए आप कहीं भी कर सकते हैं. यह ध्यान खुली आंखों व सक्रिय शरीर के साथ किया जाता है. यह बैठकर किए जाने वाले ध्यान से बहुत अलग है. यह ध्यान उन लोगों के लिए अच्छा विकल्प है, जो बैठने व चिंतन करने के बजाए चलना पसंद करते हैं.
वॉकिंग मेडिटेशन कैसे करें ध्यान रखें, कि साधारण चलना वॉकिंग मेडिटेशन नहीं होता. इसके लिए आपको निर्देशों की जरूरत होती है.
सबसे पहले एक आदर्श जगह चुनें एक लेन या एक मार्ग या आप अपने आंगन को चुनना भी अच्छा विकल्प है.ऐसी स्थान चुनें, जहां आप दस से बीस मिनट चल सकते हों. लेकिन सुनिश्चित करें, कि यह जगह खाली हो. क्योंकि आपका धीमी गति से चलना उन लोगों को आकर्षित करेगा, जो इस बारे में कुछ नहीं जानते. अब ठीक ठहराव लें वॉकिंग मेडिटेशन करने के लिए आपको एक पैटर्न बनाने की आवश्यकता है. इस तरह आपका मन व शरीर एक निश्चित ढंग से आदी हो जाएगा व आपके लिए ध्यान केंद्रित करना सरल हो जाएगा. 20 से 40 कदम तक चलें व फिर रूक जाएं. अब खड़े रहें व सांस लें. अब फिर से पीछे जाएं व इस प्रक्रिया को दोहराए, जब तक की आप इसके आदी न हो जाएं.
हर स्टेप का ध्यान रखें वॉकिंग मेडिटेशन करने के लिए चलने के लिए एक विशेष पैटर्न अपनाएं. आपके द्वारा उठाए जाने वाले हर कदम का अवलोकन करना बेहद जरूरी है. चलते समय भिन्न-भिन्न घटक होते हैं, जिन्हें देखने की आपको आवश्यकता होती है. अपने पैरों को उठाने, इसे आगे ले जाने, जमीन पर रखने व अपने पैरों पर जमीन के स्पर्श को महसूस करने जैसे कदमों के बारे में जागरूक रहें. उसी तरह आपको यह भी देखना होगा, कि शरीर का वजन दूसरे पैर पर कैसे जाता है.
अपनी स्पीड को बनाएं रखें मेडिटेटिव वॉक में आपको फास्ट नहीं, बल्कि थोड़ा आराम से चलना है. जितना आमतौर पर हम चलते हैं, उससे थोड़ा धीमा. लेकिन जिस गति से चल रहे हैं, उसी गति से चलते रहें. बीच-बीच में गति को धीमा या तेज न करें. जानकार ों की सलाह है, कि गति हमेशा धीमी रखें व अच्छे अनुभवों के लिए छोटे-छोटे कदम उठाएं.
अपने हाथों की पोजीशन पर ध्यान दें जब आप माइंडफुल वॉक के लिए जाते हैं, तो आपको समझ नहीं आता, कि आप अपने हाथों को कैसे रखें. इसे फ्री छोड़ दें , जैसे आप टहलते हैं या फिर इनके लिए कोई विशेष पोजीशन को अपनाएं. वैसे, आपको जो स्थिति आरामदायक लगे, उसे अपनाएं. आप अपने हाथों को पीठ के पीछे रखकर या फिर सामने की ओर लहराते हुए चल सकते हैं.
अपने ध्यान को संतुलित करें वॉक करते समय फोकस किस स्थान रहना चाहिए, ये देखना बेहद जरूरी है. अपने ध्यान को संतुलित करें. वॉक करते समय आंखें नीचे की ओर रहनी चाहिए. नीचे का मतलब अपने कदमों में नहीं, बल्कि थोड़ा आगे देखकर चलें. लेकिन वहां पर घूरना नहीं है. बस कैज्युअली देखते जाएंगे व चलते जाएंगे. चलते हुए एक रिदम के साथ आप एक्टिविटी भी कर सकते हैं. अपनी चाल के साथ जोड़कर ये एक्टिविटी कर सकते हैं.
मेडिटेशन वॉक प्रारम्भ कैसे करें सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं, दोनों पैर पर बराबर का वजन डालें व सेंसेशन महसूस करें, कि दोनों पैरों में बराबर का वजन है. तीन से चार लंबी-लंबी सांस लें. यह आपको अपने ऊपर फोकस लाने में सहायता करेगी. इसके बाद अपना फोकस अपने पैरों की तरफ लाना है. इसके बाद भिन्न-भिन्न प्रकार की तकनीक का इस्तेमाल करना है. वैसे, तो एक बार में एक ही तकनीक का यूज करेंगे, लेकिन हम आपको अन्य तकनीकों के बारे में भी बता रहे हैं. आप अपनी इच्छानुसार इनका इस्तेमाल कर सकते हैं.
दूसरी तकनीक सांसों पर आधारित है. यानि सांस व कदमों को मिलाकर चलें. इसके लिए जानना महत्वपूर्ण है कि सांस लेने में कितने स्टेप्स होते हैं. सांस लेने की प्रक्रिया में आमतौर पर चार स्टेप होते हैं. पहला जब हम सांस अंदर ले जाते हैं. दूसरा, जब कुछ देर रूकते हैं. तीसरा स्टेप, जब हम सांस छोड़ते हैं व चौथा सांस लेने से छोड़ने के बीच जो वक्त आता है, वो. अगर इन चारों स्टेप्स को बराबर कदम के आधार पर करें.
तीसरी तकनीक है, आपका वॉकिंग पैटर्न. क्लॉकवाइज व एंटी क्लॉक वाइज चलने का भी आप एक उपाय बना सकते हैं. एक पॉश्चर या मुद्रा बना लें. ये मुद्रा बनाकर क्लॉकवाइस राउंड लगाएं व वापस आते समय मुद्रा को एंटीक्लॉक वाइस कर लें. यापि दोनों बारी में मुद्रा भिन्न-भिन्न होनी चाहिए.
5 मिनट की वॉकिंग मेडिटेशन एक्सरसाइज मेडिटेटिव वॉक का समय शुरूआत में केवल पांच मिनट का रखें. अगर आप बिगनर हैं तो
-सबसे पहले हमें महसूस करना होगा कि 5 मिनट चलने वाला यह ध्यान वह समय है, जो हम खुद को समर्पित कर रहे हैँ. -इस व्यायाम को करते हुए आप आरामदायक कपड़े व जूते पहनें. -अब ठीक स्थान का चुनाव करें. ऐसा पार्क या बगीचा, जहां बेहद लोग या शोर न हो. -स्थान चुनने के बाद मानसिक रूप से शुरूआती व आखिरी बिंदु को तय करना होगा. -इससे पहले कि हम चलना प्रारम्भ करें, कुछ क्षण लें व हमें जो करना है, उस पर ध्यान केंद्रित करें. इसे सेल्फ टॉक बोला जाता है. -अब अपने पैरों पर ध्यान लगाएं व महसूस करें, कि वो जमीन को छू रहे हैं. -चलना प्रारम्भ करने से पहले ध्यान रखें, कि बहुत तेजी से नहीं चलना है. हमें धीरे-धीरे चलते हुए छोटे-छोटे कदम लेने हैं. -जब आप चलना प्रारम्भ करें, तो हर चाल के बारे में आपको पता होना चाहिए. इस दौरान आपको जमीन व अपने पैरों के बीच सम्पर्क महसूस होना चाहिए. -आप सीधे, शांत व आराम से चलें. -इस दौरान अपनी गर्दन व कंधों को ढीला छोड़ें व पेट की मांसपेशियों को भी. -चलते समय आप अपने आसपास की प्रकृति को निहार सकते हैं. -एक बार जब आप चलना प्रारम्भ करें, तो अपने कदमों के साथ श्वास को समन्वयित करें. यानि की जब सांस ले रहे हैं, तो कदम गिनना प्रारम्भ करें, जब सांस छोड़ रहे हैं, तो कदम उठा रहे हैं, उसे भी गिनें. -अभ्यास के साथ आप महसूस करेंगे, कि प्रत्येक सांस के लिए कदमों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जाएगी. -मेडिटेटिव वॉक प्रारम्भ करने से पहले व समाप्त होने के बाद पानी जरूर पी लें.
ध्यान रखने वाली बातें -हर दिन पैदल चलने वाले रास्तों को बदलें. इससे आप समण् पाएंगे कि आपके लिए कौन सा बेहतर है. -चलते हुए ध्यान करने के दौरान अपने शरीर के प्रति अधिक जागरूक रहें. -मेडिटेटिव वॉक करते समय अपनी भावनाओं से अवगत रहें. -अपनी मानसिक व भावनात्मक अवस्थाओं से अवगत रहें. -ध्यान करने के दौरान चेतना की वस्तुओं के प्रति जागरूक रहें. -फोकस करने की क्षमता विकसित करें. -जब भी आप मेडिटेटिव वॉक करें, वर्तमान में रहें. -मेडिटेटिव वॉक करते समय हमेशा अपनी आंखें खुली रखें. अन्यथा आप अनजाने में खुद को चोट पहुंचा सकते हैं.
वॉकिंग मेडिटेशन के फायदे -वॉकिंग मेडिटेशन हमें आनंद व शांति की ओर ले जाता है. जब हम चलते हैं, तो हमारा सारा तनाव गायब हो जाता है, ऐसा इसलिए क्योंकि इस वक्त हमारा ध्यान केवल हमारे चलने पर केंद्रित होता है. -वॉकिंग मेडिटेशन करने से आपको लंबी दूरी तक चलने के लिए संयम रखने में सहायता मिलती है. -यह हमारी शारीरिक फिटनेस व सहनशीलता को विकसित करता है. -वॉकिंग मेडिटेशन को अच्छे से किये जाने पर यह आपकी एकाग्रता में भी सुधार लाता है. -गठिया रोग को दूर करने के लिए मेडिटेटिव वॉक बहुत लाभकारी है. -यह हर आदमी को वर्तमान क्षण में जीने में सहायता करता है साथ ही जागरूकता भी बढ़ाता है. -यह मन को शांति प्रदान करने के साथ मन में एकाग्रता लाने में सहायता गार है. -इस दौरान आप ओम का भी जाप कर सकते हैं. आपको बहुत शांति व खुशी मिलेगी. -भोजन के बाद मेडिटेटिव वॉक करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है व खाने के बाद यह उनिंदापन को कम करता है. -मन व शरीर के बीच संबंध स्थापित करने के लिए वॉकिंग मेडिटेशन बहुत लाभकारी है. -यह नए दृष्टिकोण व विचारों के लिए आपका दिमाग खोलता है. -वॉकिंग मेडिटेशन आपको पर्यावरण से अधिक गहराई से जोड़ता है. -इमोशन्स व स्ट्रेस को कम करने के लिए वॉकिंग मेडिटेशन अधिक फायदेमंद है. -वॉकिंग मेडिटेशन करने से आपका स्टैमिना लंबे समय तक बना रहता है. साथ ही शारीरिक शक्ति भी बढ़ती है. -वैकल्पिक रूप से चलते हुए ध्यान करने से स्वास्थ्य में बहुत ज्यादा सुधार होता है. -यह अच्छे स्वास्थ्य निर्माण में आपकी बहुत सहायता करता है. चलने से आपके आसन में परिवर्तन होता है व सकुर्लेशन को भी बढ़ावा मिलता है. -मेडिटेटिव वॉक में न आपको केवल चलने पर, बल्कि अन्य मूवमेंट्स पर भी ध्यान देना होता है, इससे -आपका मानसिक कोशिश बढ़ता है. -एकाग्रता में सुधार करने के लिए वॉकिंग मेडिटेशन बहुत अच्छा है. -यदि आप कार्य में पूरा दिन मन लगाना चाहते हैं, तो प्रातः काल के समय चलते हुए ध्यान करना बहुत अच्छा उपाय है.
चिंता कम करता है यदि आप अपने तनाव के स्तर को कम करना चाहते हैंए तो कार्य करने से पहले या बाद में एक जगह पर बैठकर ध्यान करना उपयोगी होने कि सम्भावना है. युवा वयस्कों पर 2017 के एक अध्ययन से पता चला है कि पैदल चलने को यदि ध्यान के साथ जोड़ लें तो यह हमारी चिंता के लक्षणों को कम करने में अधिक प्रभावी होता है. ब्लड शुगर व सर्कुलेशन में सुधार 2016 में हुए एक अध्ययन ने निष्कर्ष निकाला कि वॉकिंग मेडिटेशन के एक्सरसाइज से टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों में ब्लड शुगर के स्तर व सर्कुलेशन पर सकारात्मक असर पड़ता है. अवसाद को दूर करता है बौद्ध धर्म में सक्रिय रहना को जरूरी बताया गया है. इसलिए आयु बढऩे के साथ ही नियमित व्यायाम व वॉकिंग मेटिटेशन से फिटनेस का स्तर बनाए रखने एवं मनोदशा में सुधार करने में सहायता मिलती है. 2014 के एक अध्ययन के अनुसार ३ महीने के लिए हफ्ते में 3 बार पैदल चलने वाले वृद्ध बौद्ध भिक्षुओं में अवसाद के लक्षण कम थे. इतना ही नहीं उन्होंने रक्तचाप व फिटनेस के स्तर में भी सुधार किया.
सेहत (वैल-बीइंग) में सुधार जब कभी संभव हो पार्क, बगीचे या पेड़ों व प्रकृति के बीच सैर करें. इससे स्वास्थ्य में सुधार केसाथ ही आपको अधिक संतुलित महसूस करने में सहायता मिलेगी. जापान में तेज दिमाग व मानसिक शांति के लिए 'वन स्नान' की प्रथा सदियों पुरानी है. 2018 के एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग बांस के जंगल में 15 मिनट तक चले उनके मूड, चिंता के स्तर व रक्तचाप में सुधार दिखाई दिया. नींद की गुणवत्ता में सुधार व्यायाम का अधिकतम फायदा लेने के लिए अत्यधिक एक्सरसाइज़ करने की जरूरत नहीं है. २019 के एक शोध से पता चला कि नियमित रूप से हल्का-फुल्का व्यायाम नींद की गुणवत्ता पर सकारात्मक असर डालता है. वॉकिंग मेडिटेशन शरीर के लचीलेपन को बेहतर बनाने व मांसपेशियों के तनाव को कम करने में सहायता कर सकता है ताकि आप शारीरिक रूप से बेहतर महसूस करें. इससे रात को गहरी नींद लेने में सहायता मिलती है. माइंडफुलनेस प्रैक्टिस है व्यायाम में इसे शामिल करनेसे व्यायाम आनंददायक बन जाता है. 2018 के एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि जो लोग ट्रेडमिल पर 10 मिनट की वॉक करते हुए माइंडफुलनेस रिकॉर्डिंग सुनते हैं, उन्हें व्यायाम अधिक सुखद लगता है.
रचनात्मकता बढ़ाता है माइंडफुलनेस का एक्सरसाइज कर आप अपने दृष्टिकोण में अधिक स्पष्टता ला सकते हैं व अपने विचार पैटर्न पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं, जो बदले में रचनात्मकता को प्रेरित करता है. संतुलित बनाता है वृद्ध स्त्रियों पर 2019 में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि वॉकिंग मेडिटेशन बेहतर मानसिक एवं शारीरिक संतुलन के साथ-साथ घुटने की समस्या से भी राहत दे सकता है. इसलिए मन लगाकर चलने को अपने दिन का भाग बनाएं.

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