15 अगस्त। थायराइड दो प्रकार का होता है, एक हाइपरथायराइडिज्म और दूसरा हाइपोथायराइडिज्म। हाइपरथायराइडिज्म में थायराइड ग्रंथि अधिक सक्रिय हो जाती है जबकि हाइपोथायराइडिज्म में उसकी कार्यक्षमता कम हो जाती है। थायराइड की बीमारी महिलाओं को अधिक प्रभावित करती है। ऐसा माना जाता है कि थायराइड को जड़ से ठीक नहीं किया जा सकता है, लेकिन आपको बता दें कि योग से हमेशा के लिए थायराइड की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
रोजाना करें ये योगासन
सर्वांगासन
इसमें शरीर के पूरा भार कंधों पर आ जाता है और शरीर पर सकारात्मक असर पड़ता है। यह शरीर में थायरॉक्सीन और थायरॉयड ग्लैंड को कंट्रोल करने में मदद करता है। इसमें रक्त का प्रवाह पैरों से दिमाग की ओर चलता है जिससे थायराइड की समस्या कम होती है।
भुजंगासन
इस आसन को करने से गले व गर्दन के भाग पर अच्छी तरह से स्ट्रेच पड़ता है, जिस कारण थायरॉयड की समस्या में राहत मिलती है। गर्दन का दर्द भी कम करने होता है और मजबूत बनती है।
मत्स्यासन
इसमें पद्मासन की मुद्रा में बैठ कर हाथों के सहारे से धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए पीठ के बल लेटना होता है। यह पूरी तरह से मछली का पोज होता है इसलिए इसे मत्स्यासन करते है। यह शरीर में तनाव को कम करके जोड़ों को कड़क होने से रोकता है। इससे शरीर को आराम मिलता है और थायराइड के कारण तनाव या मूढ़ में उतार-चढ़ाव आता है वह कंट्रोल में रहते है।
शवासन
शवासन दोनों प्रकार - हाइपर और हाइपो थायरॉइड की समस्या को कम करते है। यह मन को शांत करता है साथ ही तनाव को कम करने सहायक है।
सेतुबंधआसन
इसमें पैर जमीन पर लगे होते है और पीठ की मदद से शरीर को ऊपर उठाया जाता है। इससे पूरा शरीर एक बांध के रुप में नजर आता है। इससे थायराइड ग्लैंड और गले की मसल पर काफी खिंचाव पड़ता है और थायराइड की समस्या काफी कंट्रोल में रहती है। इससे दिमाग काफी शांत रहता है।
प्राणायाम
प्राणायाम जैसे कि उज्जयी, भ्रामरी, डायफ्रोमेटिक ब्रीदिंग और नाड़ी शोधन प्राणायाम थायरॉइड को कंट्रोल करने में मदद करते हैं। यह गले की मसल पर सीधे असर डालते है जिससे कि वह अच्छे से काम करते है।
मेडीटेशन
ध्यान के साथ मंत्र जाप करने से थायराइड पर बहुत ही साकरात्मक प्रभाव पड़ता है। सिर्फ थोड़ी देर ही किए गए ध्यान से मन शांत और तनाव मुक्त हो जाता है।