पाकिस्तानियों के छक्के छुड़ा चुकी हैं गुंजन सक्सेना, 'कारगिल गर्ल' से हुई मशहूर

एक समय ऐसा भी था, जब महिलाओं की गिनती सेना में सबसे कम होती थी। मगर समय के साथ लोगों को नजरिया व सोच भी बदलीं। आज सेना क्या हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी पहचान बना रही हैं। ऐसी कई औरतें हैं जो भारतीय सेना में अपना योगदान देकर देश का नाम रोशन कर रही हैं।भारतीय सेना भी अब महिलाओं की काबिलियत तो पहचान चुकी हैं जिसे देखते हुए सेना में महिलाओं की गिनती बढ़ाने का फैसला किया गया। कहा जा रहा है कि 100 महिला सैनिकों के पहले बैच को मार्च, 2021 तक कमीशन दिया जाएगा। भारत में महिलाओं की आज जो भी स्थितियां बदलत रही हैं, उनमें गुंजन सक्सेना जैसी शक्षक्त महिलाओं की अहम भूमिका रही जिन्होंने बाकी महिलाओं को भी पंख दिए और प्रेरणा बनी। चलिए जनाते हैं, उसी गुजन सक्सेना की बहादूरी के किस्से... जिन्होंने ना सिर्फ देश का सिर गर्व से ऊंचा उठाया बल्कि बाकी महिलाओं के लिए मिसाल भी बनीं...

इससे पहले बता दें कि कारगिल युद्ध में गुंजन के शौर्य को दिखाने के लिए फिल्म 'गुंजन सक्सेना-द कारगिल' भी बन चुकी हैं जिसमें गुंजन सक्सेना की भूमिका बॉलीवुड एक्ट्रेस जाह्नवी कपूर निभा रही है... फिल्म में गुंजन के पायलट बनने की कहानी और उनके संघर्ष को दिखाया गया हैं। तो चलिए अब जानते हैं रियल लाइफ गुंजन सक्सेना की स्टोरी.. गुंजन सक्सेना युद्ध क्षेत्र में हेलीकॉप्टर उड़ाने वाली वायुसेना की पहली महिला पायलट थीं, जिनका जन्म वर्ष 1975 में एक सेना अधिकारी के परिवार में हुआ। जी हां, गुंजन के पिता और भाई ने भी भारतीय सेना की सेवा की।
गुंजन ने नई दिल्ली के हंसराज कॉलेज से ग्रेजुएशन किया जिसके बाद वो दिल्ली के फ्लाइंग क्लब से जुड़ गई। उसी दौरान उन्होंने महिला पायलट भर्ती के लिए अप्लाई किया जिसमें वो सिलेक्ट भी हो गई और एसएसबी पास कर वायुसेना में शामिल हो गईं। वो दौर ऐसा था जब महिलाओं को वॉर टाइम में वॉर जोन में जाने या फ्लाइटर प्लेन उड़ाने की इजाजत नहीं थी। मगर वर्ष 1994 में 25 अन्य महिला प्रशिक्षु पायलटों के साथ गुंजन सक्सेना का भी चुना गया जोकि महिला IAF प्रशिक्षु पायलटों का पहला बैच था। उन्हें उधमपुर, जम्मू और कश्मीर में तैनात किया गया। कारगिल युद्ध के दौरान उन्होंने कॉम्बेट जोन में चीता हैलीकॉप्टर उड़ाया था और कई भारतीय सैनिकों की जान बचाकर इतिहास रचा। गुंजन ने यह ऑपरेशन उस जगह पूरा किया था, जहां पाकिस्तानी सैनिक लगातार गोलियां चला रहे थे। हालांकि, इस दौरान गुंजन के एयरक्राफ्ट पर मिसाइल भी दागी गई लेकिन निशान चूक जाने के कारण वो बाल-बाल बच गई। इस तरह फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना भारतीय वायु सेना की पहली महिला ऑफिसर बनीं जो पहली बार युद्ध में जाकर लड़ी। इस वीरतापूर्ण काम के लिए उन्हें 'शौर्य वीर अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया और वो 'कारगिल गर्ल' के नाम से मशहूर हुईं। साल 2004 में चॉपर पायलट के रूप में 7 वर्षों तक सेवा देने के बाद, गुंजन सक्सेना की भारतीय सेना के साथ जर्नी खत्म हो गई है। बात उनकी पर्सनल लाइफ की करें तो गुंजन सक्सेना ने एक IAF अधिकारी से शादी की जो पेशे से पायलट ही हैं। उनकी एक बेटी प्रज्ञा है। गुंजन का कहना है उन्हें अपनी फैमिली और IAF से पूरा सपोर्ट मिला। सभी ने उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी जिसकी बदौलत आज वो दूसरी औरतें के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। अब फिल्म के जरिए लोगों को उनकी जज्बे को दिखाने का प्रयास किया जा रहा है। गुंजन समाज की उस धारणा को चुनौती देती हैं जो पायलट, भारतीय सेना बनना सिर्फ पुरुषों का काम समझते हैं, गुंजन ने कारगिल युद्ध में अपनी दृढ़ता दिखाकर साबित कर दिखाया था कि महिलाएं भी किसी से कम नहीं है, बस उन्हें एक मौका मिलना चाहिए।

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