कोविड-19 स्वाद लेने की क्षमता से जुड़ी कोशिकाओं को सीधे तौर पर नुकसान नहीं पहुंचाता है. एक अध्ययन में यह जानकारी दी गई जिसमें पाया गया कि स्वाद लेने की क्षमता का प्रभावित होना रोग के कारण हुई सूजन के दौरान होने वाली घटनाओं से अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़ा हुआ है.
अध्ययन के ये परिणाम पूर्व के अध्ययनों के उल्टा है जिनमें पाया गया कि स्वाद लेने की क्षमता सीधे तौर पर संभवत: वायरस के कण के कारण प्रभावित होती है.
कोविड-19 के कई मरीजों के सूंघने या स्वाद लेने की क्षमता चले जाने की जानकारी देने के बाद अनुसंधानकर्ताओं ने इसे कोविड-19 के लक्षणों की बढ़ती सूची में शामिल कर लिया था.
अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ जॉर्जिया की सह प्राध्यापक, होंगजियांग लियू ने कहा, 'वायरस के सम्पर्क में आने के कुछ दिनों बाद स्वाद नहीं आने का लक्षण बताने वाली मरीजों की बढ़ती दर चिंता का विषय है.' लियू ने कहा, 'हमें इसे लेकर बहुत सतर्क होने की आवश्यकता है.'
अध्ययन में यह भी पाया गया कि स्वाद लेने की क्षमता से जुड़ी कोशिकाएं सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के प्रति संवेदनशील नहीं हैं क्योंकि उनमें से अधिकांश में एसीई2 (एक प्रकार का एंजाइम जो दिल, आंत, कोशिकाओं, धमनियों व गुर्दे की झिल्लियों से जुड़ा होता है) नहीं होता, यह वह रास्ता है जहां से वायरस शरीर में प्रवेश करता है.'
लियू ने कहा, 'इस पहला अध्ययन नहीं है जिसने मुंह में एसीई2 की मौजूदगी को पढ़ा है. उन्होंने कहा, 'लेकिन यह कोरोना वायरस व स्वाद कोशिकाओं के सलामत रहने के विषय में खासतौर पर दर्शाने वाला पहला अध्ययन है कि इसके लिए किसी अन्य कोशिका का कार्य न करना जिम्मेदार है .'
यह अध्ययन 'एसीएस फार्माकोलॉजी एंड ट्रांसलेशनल साइंस पत्रिका में प्रकाशित हुआ है.