कॉपर एक अंतर्गर्भाशयी उपकरण है, जो महिलाओं में जन्म नियंत्रण के लिए इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर यह विधि उन महिलाओं के लिए होती हैं, जिन्होंने कुछ समय पहले ही बच्चे को जन्म दिया होता है। कॉपर टी की स्थापना करने की यह प्रक्रिया काफी संवेदनशील होती है, इसलिए इसे केवल विश्वसनीय चिकित्सा विशेषज्ञों से ही करवाया जाता है। यह डिवाइस महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। आईयूडी की प्लास्टिक धागा योनि के बाहर लटका होता है।
कॉपर टी का T आकार का सिर को झुका कर महिला के गर्भाशय में डाला जाता है। बाहरी तरफ प्लास्टिक की पाइप को किया जाता है। एक बार जब कॉपर टी सही तरह से डाल लिया जाए, तो ऐसे में युग्मनज और गर्भाशय की दीवारों के बीच बाधा के रूप में कार्य करने लगता है। इससे महिला गर्भवती होने से बच जाती है।
एक बार कॉपर टी डालवाने के बाद प्लास्टिक आसपास तांबे के आयन निकालने लग जाती है। यह तांबे के आयन गर्भाशय से निकलने वाले तरल पदार्थ के साथ मिल जाती है। तांबे की यह तार शुक्राणु की गतिशाीलता को कम कर देता है। ऐसे में महिला के गर्भवती होने की संभावना कम हो जाती है।