कोरोना: सांस में दिक्कत यह हल्की खांसी, गले में खराश व तेज बुखार के साथ प्रारम्भ होता है.
बाद में मरीज को सांस लेने में परेशानी होने लगती है. फेफड़ों को नुकसान होने से शरीर के जरूरी अंगों को ऑक्सीजन कम मिलती है. इसमें सबसे महत्वपूर्ण पहचान मरीज की कॉन्टेक्ट हिस्ट्री है कि पिछले 14 दिनों में आदमी कोरोना पॉजेटिव के सम्पर्क में सम्पर्क में आया हो. मलेरिया: सर्दी और बुखार बुखार, कंपकपी, सिरदर्द, उल्टी-कमजोरी, चक्कर आना, पसीना आकर बुखार उतरना. बुखार एक दिन छोडक़र आता है. इसमें पाचन बेकार होने के साथ पीलिया का प्रभाव होता है. एंटीबायोटिक्स न लें. प्रभाव नहीं करता है. मलेरिया में कम से कम एक हफ्ते आराम करें. 15 दिन बाद ही मुश्किल कार्य करें. बुखार होने पर केवल पैरासेटमॉल ही लें. डेंगू: आंखों के पीछे दर्द तेज बुखार रहना, आंखों के पीछे, मांपेशियों, हड्डियों और सिर में दर्द, शरीर पर लाल चकते, भूख न लगना, जी मिचलाना, मुंह का स्वाद बेकार होना, गले में हल्का-सा दर्द होना आदि लक्षण हैं. गंभीर अवस्था में ब्लीडिंग होता. प्लेटलेट्स कम हो जाता है. मच्छर काटने के 3-5 दिन बाद लक्षण दिखते हैं. लक्षणों के आधार पर उपचार होता है. पेन कातिल न लें इ न तीनों रोग में पेन कातिल लेना जानलेवा होने कि सम्भावना है. डेंगू में पेन कातिल लेने से प्लेटलेट्स तेजी से कम होता है. ब्लीडिंग प्रारम्भ होने कि सम्भावना है. इन रोंगों में पाचन प्रभावित होता है. इसलिए हल्का खाना खाएं. लिक्विड डाइट नीबू पानी, छाछ, नारियल पानी, शिकंजी ज्यादा मात्रा में लें. इम्युनिटी अच्छा रहे इसलिए जिंक और विटामिन सी वाली चीजें खाएं. आयुर्वेद से बचाव करें आ युर्वेद में डेंगू का दंडक ज्वर कहते हैं क्योंकि इसमें हड्डियों के टूटने जैसा दर्द होता है. वहीं, मलेरिया को विषम ज्वर कहते हैं. ये वायरस से होते हैं. वायरस शरीर में तभी नुकसान पहुंचाते हैं जब शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है. इसलिए इम्युनिटी बढ़ाने वाली चीजें मानसून भर लेते हैं. इसके लिए आवंला, गिलोय, कालीमिर्च, सौंठ, मुलैठी, तुलसी के पत्तियां व च्वयनप्राश नियमित रूप से लेते रहें. इनकी टेबलेट या क्वाथ किसी भी रूप में ले सकते हैं. इन रोंगों में पाचन व दूसरे जरूरी अंगों पर प्रभाव पड़ता है. इसलिए त्रिकटु लें. इस मौसम में अग्नि मंद हो जाती है यानी पाचन बेकार हो जाता है. त्रिकटु अग्निदीप का भी कार्य करता है.