राजपुर (बक्सर) : शिक्षा विभाग की कारस्तानी भी अजीबोगरीब है। हालिया, मामला उर्दू प्राथमिक विद्यायल जमौली में जांच में पाई गई फर्जी शिक्षिका का स्कूल में कार्यरत रह वेतन भुगतान का भी लाभ पाने से जुड़ा है. ज्ञात हो कि, राज्य सरकार के निर्देश पर स्कूली शिक्षकों के कागजातों की जांच प्रक्रिया में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो द्वारा जांच के बाद उर्दू प्रा.विद्यालय जमौली की प्रधान शिक्षिका सविता कुमारी और मीना कुमारी के कागजात फर्जी मिले।
जिसके बाद दोनों शिक्षिकाओं के खिलाफ निगरानी विभाग के अवर निरीक्षक ईश्वर प्रसाद द्वारा राजपुर थाना में प्राथमिकी दर्ज कराते हुए नियोजन इकाई के अध्यक्ष, सचिव सहित प्रखंड के सभी वरीय अधिकारियों को पत्र लिखा है। जिसमें दोनों शिक्षिकाओं को पदमुक्त कर वेतन मद में दी गई राशि भी वापस लेने की अनुशंसा की गई। लेकिन, नियोजन इकाई द्वारा आज तक इन शिक्षिकाओं को पदमुक्त नहीं किया गया। उल्टे प्रधान शिक्षिका सविता कुमारी पूर्ववत स्कूल के सभी कार्यों का नियमित संचालन कर रही हैं। वहीं, बच्चों को दी जाने वाली राशि की निकासी, चावल वितरण, शिक्षकों की उपस्थिति पंजिका सत्यापन सहित अन्य सभी कार्य किए जा रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि जिस शिक्षिका को फर्जी घोषित किया गया है. वह किस आधार पर विद्यालय में कार्यरत हैं। कुछ लोग मामले में लेनेदेन से सेटिग होने की चर्चा कर रहे हैं।
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- कहते हैं प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी इस संबंध में पूछे जाने पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अजय प्रसाद ने कहा कि फर्जी शिक्षकों पर सर्वप्रथम नियोजन इकाई द्वारा ही कार्रवाई करने का प्रावधान है। तत्पश्चात वरीय अधिकारियों द्वारा निष्पादन की प्रक्रिया अपनाई जाती है। लेकिन, नियोजन इकाई द्वारा कृत कार्रवाई की जानकारी नहीं दी गई है।
Posted By: Jagran
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