वैश्विक महामारी कोविड-19 चलते पूरा विश्व महामारी की चपेट में आ चुका है. किसी एक कारण को लेकर सारे विश्व में डर और दहशत का माहौल ही नहीं बल्कि तालाबंदी चल रही हो, संभवत यह हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि विश्व के लिए पहला मौका है.
ऐसे में यह सिद्ध हो गया है कि यदि हम प्राचीन काल से चली आ रही आयुर्वेद को अपनी दिनचर्या में नियमित रूप से शामिल कर लें तो कोरोना संक्रमित होने की उम्मीद कम ही नहीं बल्कि खत्म हो सकती है. यह बातें केवल कही नहीं बल्कि मऊ जनपद में सिद्ध भी हो चुका है.
गौरतलब हो कि गत दिनों जनपद के मुख्य विकास ऑफिसर रामसिंह वर्मा के चार कर्मचारी कोरोना पॉजिटिव संक्रमित पाए गए. जिनमें उनके एक रसोईया और ड्राइवर भी शामिल रहे. ड्राइवर और रसोईया सहित चार कर्मचारियों की कोरोना पॉजिटिव पाए जाने की समाचार के बाद सीडीओ आवास पर खलबली मच गया. स्वास्थ्य को लेकर चिंतित राम सिंह वर्मा ने अपने सहित सभी कर्मचारियों का मेडिकल गाइडलाइन के तहत कांटेक्ट ट्रेसिंग में सैंपल जाँच के लिए भेजा. आश्चर्य की बात यह रही कि कोरोना पॉजिटिव संक्रमित रसोइए के हाथ का बना खाना खाने वाले राम सिंह वर्मा और उनका दूसरा रसोईया एंटीजन के साथ ही आरटी पीसीआर जाँच में भी नेगेटिव पाए गए, जो शोध का विषय रहा. इस संबंध में जब एक एक गतिविधियों पर गंभीरतापूर्वक प्रकाश डाला गया तो यह तथ्य खुलकर सामने आए सीडीओ राम सिंह वर्मा और उनका दूसरा रसोईया लगातार काम का सेवन करते रहे.
जबकि अन्य कर्मचारी आयुर्वेद काढ़ा को गंभीरता से नहीं लेते थे. ऐसे में उक्त घटना यह साबित करने के लिए बहुत ज्यादा साबित होती है कि आयुर्वेदिक काढ़े के सेवन से कोरोना से बचा ही नहीं जा सकता बल्कि संक्रमित होने की आसार क्षीण हो जाती है.
इस बात को इस घटना से भी प्रमाणिकता मिलती है मार्च माह के बाद से ही जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी द्वारा लगातार लोगों से निरंतर काढ़ा पीने का आह्वान ही नहीं किया गया बल्कि बार-बार कोविड से बचने के लिए आयुर्वेद काढ़ा बनाने का विवरण खबर पत्रों में प्रकाशित कराया गया. जिससे लोग अपने घरों में काढ़ा बना सके. इसके साथ ही कलेक्ट्रेट में आने वाले आगंतुकों कर्मचारियों को लगातार काढ़ा पिलाया जाता है.ऐसे में खुद मुख्य विकास ऑफिसर रामसिंह वमार् ने बताया कि कलेक्ट्रेट परिसर में कार्य के दौरान कई बार काढ़ा पीते रहने के साथ ही आवास पर भी काढ़ा का निरंतर सेवन किया जाता है, जो उनके लिए स्वास्थ्यवर्धक साबित हुआ है.
गौरतलब हो कि जिलाधिकारी ज्ञानप्रकाश त्रिपाठी द्वारा नीम पर चढ़ी गिलोय के साथ ही अन्य सामग्रियों से बने काढ़े का सेवन ही नहीं किया जाता बल्कि अन्य लोगों को प्रेरित भी किया जाता है. जो कोरोना काल में एक मजबूत कवच के रूप में कार्य करता नजर आ रहा है.