मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा; तेरा वादा तो नहीं हूँ जो बदल जाऊँगा;

आपकी नशीली यादों में डूबकर;हमने इश्क की गहराई को समझा;आप तो दे रहे थे धोखा और;हमने जानकर भी कभी आपको बेवफा न समझा।क्या बताऊँ मेरा हाल कैसा है;एक दिन गुज़रता है एक साल जैसा है;तड़पता हूँ इस कदर बेवफाई में उसकी;ये तन बनता जा रहा कंकाल जैसा है।जो दिल को अच्छा लगता है उसी को दोस्त कहता हूँ,मुनाफ़ा देखकर रिश्तों की सियासत नहीं करता।

ना कर तू इतनी कोशिशे, मेरे दर्द को समझने की..तू पहले इश्क़ कर, फिर चोट खा,
फिर लिख दवा मेरे दर्द के,जिस घाव से खून नहीं निकलता,समझ लेना वो ज़ख्म किसी अपने ने ही दिया है.
मेरी तक़दीर में जलना है तो जल जाऊँगा;
तेरा वादा तो नहीं हूँ जो बदल जाऊँगा;
मुझको समझाओ न मेरी जिंदगी के असूल;
एक दिन मैं खुद ही ठोकर खा के संभल जाऊँगा।
तुम रख न सकोगे, मेरा तोहफा संभालकर,
वरना मैं अभी दे दूँ, जिस्म से रूह निकालकर.!

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