जानिए आख़िर वास्तव में अश्वगंधा खाने का क्या है असली तरीका, आयते जानते है।

दूध को अश्वगंधा का अनुपान कहा गया है। इसी कारण से अश्वगंधा और दूध साथ लेने की बात कही जाती है।

इस लेख में हम अश्वगंधा और दूध के फायदे और अश्वगंधा और दूध के सेवन करने के तरीके पर चर्चा करेंगे।
आयुर्वेद के प्राचीन लेख चरक संहिता के मुताबिक दूध हमारे दिमाग और शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है। दूध स्वाद में मीठा, ठंडा, कोमल और प्रसन्न होता है।
दूध और औषधि का मिश्रण शरीर में ज्यादा असरदार होता है और इसका प्रभाव बहुत जल्द दिखने लगता है।
आयुर्वेद के लेख चरक संहिता में दूध और अश्वगंधा को साथ लेने की बात कही गयी है। इस लेख में 'कार्य कारण सिद्धांत' के नाम से इस बारे में जानकारी दी गयी है।
आयुर्वेद में कहा गया है, 'सर्वदा सर्व भावनाम सामन्यम वृद्धि कारनाम।' इसका अर्थ है कि शरीर में यदि किसी पदार्थ की मात्रा बढ़ रही है, तो उससे सम्बंधित बाहरी पदार्थों की भी मात्रा बढ़ रही है।
दूध के गुणों को शरीर के स्वास्थ्य के लिए बहुत उत्तम माना जाता है।
दूध को शरीर के लिए सबसे बेहतर अनुपान माना जाता है। यह खून, हड्डियां, कोशिकाओं, और अन्य अंगों के लिए बहुत फायदेमंद है।
जैसा कि हमनें बताया कि आयुर्वेद के मुताबिक दूध सबसे उत्तम अनुपान है। ऐसे में किसी भी जड़ी बूटी के साथ इसे लिया जाना चाहिए
अश्वगंधा और दूध दोनों ही ओजस को पोषकता पहुंचाते हैं। दोनों एक दूसरे को ऊर्जा देते हैं।
जब कोई व्यक्ति इन्हें साथ लेता है, तब उसके शरीर में मौजूद कोई भी रोग दूर हो जाता है। इनका मिश्रण तीनों दोष में भी सहायक है।
इन्हीं कारणों से अश्वगंधा को दूध के साथ लिए जाने की सलाह दी जाती है।

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