आइए जानिए, क्या होता हैं डिस्कोमगूगोलेशन व इसके लक्षण

आज के समय में इंटरनेट (Internet) लोगों की जिंदगी व आवश्यकता बन चुका है। इसके बिना ऐसा लगता है कि जिंदगी अधूरी रह गई हो। किसी कारणवश औनलाइन न हो पाने से लोग छटपटा जाते हैं।

अगर आपको भी औनलाइन न हो पाने के कारण उलझन होती है, तो यह कठिनाई की बात हो सकती है।
एक अध्ययन के मुताबिक, औनलाइन (Online) न होने के कारण स्ट्रेस अनुभव करने वाले लोग डिस्कोमगूगोलेशन की समस्या से पीड़ित हो सकते हैं। वेब उनके सारे सवालों के जवाब व उनके अकेलेपन का साथी बन चुका है। ऐसे में जब वो औनलाइन एक्सेस नहीं कर पाते, तो इसी छटपटाहट में वे धीरे-धीरे डिस्कोमगूगोलेशन के शिकार होते जाते हैं। यह शब्द डिस्कोमबोबुलेट व गूगल से मिलकर बनाया गया है। डिस्कोमबोबुलेट का मतलब हताशा या असमंजस होता है।
डिस्कोमगूगोलेशन: मनोवैज्ञानिकों के मुताबिक, डिस्कोमगूगोलेशन एक तरह का अहसास है। जब कोई आदमी सूचनाओं के दुनिया यानी इंटरनेट को एक्सेस नहीं कर पाता है, तो उसके दिमाग की गतिविधि असाधारण हो जाती है। यह एक नए तरह का सिंड्रोम है, जो कि किसी समस्या का तुरंत उत्तर न ढूंढ पाने व इंटरनेट पास न होने के कारण किसी समस्या का निवारण न हो पाने के कारण होता है। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में पाया कि यह बैठक में देर से पहुंचने, किसी जरूरी एग्जाम को देने के समय होने वाले तनाव के बराबर होता है। इस सर्वे को वैज्ञानिकों ने 2000 लोगों के ऊपर किया।
वैज्ञानिकों के दल ने जब लोगों के ह्दय व दिमाग को मॉनिटर के द्वारा नापा तो उन्होंने पाया कि पुरुष की बैचेनी स्त्रियों की तुलना में ज्यादा थी। उन्होंने देखा कि नेट एक्सेस न कर पाने के कारण पुरुषों में स्ट्रेस की समस्या ज्यादा होती है। सर्वे में यह भी देखा गया कि इंटरनेट कनेक्शन काट देने के बाद लोगों के दिमाग व ब्लड प्रेशर में एकदम से तेजी आ गई।
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मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि कुछ लोगों की इंटरनेट पर निर्भरता बहुत ज्यादा अधिक हो जाती है। इसके हानिकारक असर भी होते हैं। आपकी अंगुलियां, गर्दन व शरीर के अन्य हिस्सों पर असर पड़ता है। इसका प्रभाव नींद व आपके मन पर भी पड़ता है। इसके लिए महत्वपूर्ण है कि बीच-बीच में ब्रेक लेते रहें व शारीरिक गतिविधियां बढ़ाएं। इसका असर आपके स्वभाव पर भी देखने को मिलता है। इसके लिए सबसे आवश्यक यह है कि आप इंटरनेट के आदी न हों।

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