पेशाब का यह रंग ठीक, आइये जानिए इस विषय में पूरी जानकारी

हमारे मूत्र का रंग हमारी स्वास्थ्य व मानसिक अनुभूति के बारे में भी बता सकता है. शारीरिक कार्यों के दौरान हाइड्रेशन (Hydration) शरीर के तापमान को स्थित बनाए रखता है.

लेकिन मूत्र के हल्के-गहरे रंग को देखकर डॉक्टर ये बताने में भी समर्थ हैं कि हमारा शरीर कितना डिहाइड्रेट हो रहा है व अगर यह तय सीमा से ज्यादा है तो शरीर को डिहाइड्रेशन (De-hydration) से बचाने के लिए क्या किया जाना चाहिए. यह पता करने के लिए किसी रॉकेट साइंस की जरुरत नहीं है बल्कि थोड़ी-सी जानकारी के आधार पर आप खुद इसका पता लगा सकते हैं. बस पेशाब करने के बाद झांक कर रंग का आकलन करें, अगर शौचालय के पानी से पेशाब का रंग थोड़ा हल्का है तो चिंता न करें.
100 प्रतिशत पारदर्शी रंग (Transparent Pee) अपनी रोजाना की दिनचर्या में पर्याप्त मात्रा में कम से कम तीन लीटर पानी पीना सुनिश्चित करें. ऐसा करने से शरीर का डिटॉक्सीफिकेशन (Ditoxification) होता है व सभी विषाक्त पदार्थ बाहर निकल जाते हैं. अगर पेशाब का रंग पूरी तरह से पारदर्शी है व पीला रंग स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है तो इसका मतलब है कि आप अनुशंसित मात्रा से अधिक पानी पी रहे हैं. अगर आप बेहद पेशाब जा रहे हैं तो यह इशारा है कि आप बहुत तेजी से हाइड्रेट (अति-निर्जलीकरण) हो रहे हैं. औसत वयस्क के लिए 24 घंटे की अवधि में 4 से 10 बार पेशाब की यात्रा को सामान्य माना जाता है. लेकिन अगर इस संख्या में फर्क नजर आए तो हल्के में न लें. ओवरहाइड्रेटिंग (Over Hydrating) से बचना इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि शरीर में पानी की अधिकता शरीर की इलेक्ट्रोलाइट सामग्री को पतला करती है. वहीं शरीर में पानी की मात्रा कम होने पर चक्कर आने या कमजोरी लगने लगती है.
डिहाइड्रेशन से घबराने की जरुरत नहीं लेकिन हम में से अधिकतर को अति-निर्जलीकरण की चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. आम तौर पर जब कभी आप खुद को डिहाइड्रेट महसूस करें तो पानी को घूंट-घूंटकर पिएं जब तक कि पेशाब में हल्का पीलापन न आ जाए. नींबू जैसे पीले रंग व बीयर जैसे गहरे रंग का मतलब है कि हमारा शरीर बेहद हाइड्रेटेड हो रहा है. पेशाब का यह रंग ठीक है. हाइड्रेटेड रहने के लिए पानी पीना ही ही सबसे अच्छा उपाय है. लेकिन फल व सब्जियां खाना भी पानी का एक बड़ा स्रोत है.
ये फल-सब्जियां खाएं -टमाटर -ककड़ी-खीरा -स्ट्राबेरीज -पत्ता गोभी -जुकीनी -लैट्यूस -तरबूज
तांबे जैसा रंग होना जब पेशाब एम्बर (पीले पन्ने जैसा रंग) या तांबे के रंग जैसे रंग की तरह दिखता है तो संभल जाइए आपके शरीर में पानी की बेहद कमी है व तुरंत पानी पीने की जरुरत है. हालांकि यह खतरनाक स्तर के निर्जलीकरण का इशारा नहीं है, लेकिन इसे हल्के में न लें. जब शरीर पिए जाने वाले पानी से अधिक हाइड्रेट होने लगे तो यह अपने आप शरीर में उपस्थित पानी को अवशोषित करना प्रारम्भ कर देता है. पेशाब में स्वाभाविक रूप से उपस्थित खनिज व कैमिकल्स को पतला करने के लिए जब शरीर में पानी की अत्यधिक कमी होती है तब आपके पेशाब का रंग पहले से ज्यादा गहरा व पीला हो जाता है. लेकिन अगर आपका पेशाब भूरे या गहरे संतरी रंग का है तो ध्यान देने की जरुरत है क्योंकि आपके शरीर में गंभीर रूप से हाइड्रेशन हो रहा है. जिसके चलते आपको उल्टी, दस्त व बुखार के कारण शरीर व तेजी से पानी खर्च करने लगता है. यह निर्जलीकरण के सामान्य कारण हैं. ध्यान रखें कि बोतलबंद व नल के पानी में इलेक्ट्रोलाइट्स की ट्रेस मात्रा होती है लेकिन फिर भी शरीर के इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को फिर से चार्ज करने के लिए गेटोरेड या होममेड टॉनिक की जरूरत हो सकती है.
डिहाइड्रेटेड रहने के टिप्स -नियमित अंतराल पर पानी पीते रहें -कैफीन व शराब का सेवन सीमित करें -वर्कआउट करने से पहले ढेर सारा पानी पिएं -ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन न के बराबर करेंं जो अत्यधिक नमकीन या शक्कररयुक्त हों -पानी में नींबू मिलाकर पीने से भी डिहाइड्रेशन में राहत मिलेगी भूरे रंग के मूत्र से जुड़ी बीमारियों में ये शामिल -गुर्दे की बीमारी -जिगर की बीमारी -पोर्फिरिया (एक दुर्लभ आनुवंशिक रक्त विकार)
पेशाब के हल्के से गहरे रंग के आधार पर संभावित बीमारियां -वाइन रेड टू पिंक सेन्ना (एक्स लैक्स): प्रोस्टेट संक्रमण, मूत्राशय या गुर्दे का संक्रमण, ट्यूमर या आंतरिक चोट -संतरे के छिलके से तांबे जैसा पीला: यकृत या पित्त नली की समस्या -नीले या हरे रंग के बीच: ब्लू डायपर सिंड्रोम का खतरा -अन्य लक्षण जो अधिक गंभीर स्थितियों की ओर संकेत करते हैं: बुखार, जी मिचलाना, उल्टी, पेट में दर्द, बार-बार पेशाब आना.
कब लें डॉक्टरी सलाह अगर आप ऐसी दवाएं नहीं ले रहे या हाल-फिलहाल में आपने ऐसा कुछ नहीं खाया है जिससे पेशाब के रंग पर प्रभाव पड़ सकता है लेकिन बावजूद इसके आपको लगातार पेशाब के रंग में अनिश्चितता व असामान्य रंग नजर आने पर चिकित्सक को दिखा लेना ही बेहतर है. हालांकि, विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि यदि आपका मूत्र बहुत गहरा या नारंगी है तो जल्द से जल्द चिकित्सक को दिखाएं क्योंकि यह यकृत में खराबी के कारण भी होने कि सम्भावना है. वहीं अगर पेशाब में बहुत ज्यादाद बदबू या पेट में लगातार दर्द है तो भी चिकित्सक को दिखा लेना चाहिए. अन्य कारणों में चक्कर आना या भ्रम होना, बुखार जैसे लक्षण एक सामान्य इशारा हैंं कि हमारा शरीर बीमार पड़ रहा है. सामान्यत: कितना पानी पीना चाहिए वर्तमान शोधों के अनुसार चिकित्सकों का बोलना है कि एक सामान्य महिला को रोजाना लगभग 9 कप व पुरुषों के लिए 13 कप पानी पीना फायदेमंद है. है. लेकिन ध्यान रखें कि यह सिर्फ एक सामान्य दिशानिर्देश हैं. यदि आप गर्भवती हैं या स्तनपान करा रही हैंं तो इन बातों का भी आपके पानी पीने की मात्रा पर असर पड़ता है.
जब प्यास लगे क्या तभी पीएं पानी? नहीं. यह आम धारणा है कि प्यास लगने पर पानी पीने से हाइडे्रशन से बचा जा सकता है. लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए. यदि आप प्यास लगने तक पानी पीने के लिए इंतजार कर रहे हैं तो यह स्वास्थ्य पर भारी पड़ सकता है. नियमित अंतराल पर कार्य के बीच, कार्य के दौरान व जब भी समय मिले पानी पीते रहें. ऐसे ही यदि मौसम बहुत गर्म है या उमस भरा दिन है, या आप स्तनपान कराती हैं अथवा दिनभर बहुत सारी शारीरिक गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं तो नियमित अंतराल पर भरपूर मात्रा में पानी पीना सुनिश्चित करें.

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