भारत में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच दवा कंपनी जायडस केडिला (Zydus Cadila) ने कोविड-19 के इलाज के लिए अपनी वैक्सीन 'जायकोव- डी' (ZyCoV-D) के दूसरे चरण का 6 अगस्त से लोगों पर चिकित्सकीय परीक्षण शुरू करेगी। इसके पहले चरण का चिकित्सकीय परीक्षण पूरा हो गया है।
पहले चरण में सुरक्षित पाई गई वैक्सीन लाइव मिंट के अनुसार, कंपनी ने कहा है कि पहले चरण के चिकित्सकीय परीक्षण में जायकोव- डी को सुरक्षित और सहनीय पाया गया। कंपनी अब 6 अगस्त 2020 से दूसरे चरण का चिकित्सकीय परीक्षण शुरू करेगी।
जायडस केडिला के चेयरमैन पंकज आर पटेल ने कहा कि पहले चरण में दी गई दवा में जायकोव-डी को सुरक्षित पाना महत्वपूर्ण पड़ाव है जिसे हासिल किया गया। उन्होंने कहा कि पहले चरण में जिन लोगों पर भी चिकित्सकीय परीक्षण किया गया उनकी दवा देने के 24 घंटे तक चिकित्सा यूनिट में पूरी तरह देखभाल की गई। उसके बाद सात दिन तक उनकी निगरानी की गई जिसमें टीके को पूरी तरह सुरक्षित पाया गया।
रोग प्रतिरोधक क्षमता पर रखी जाएगी नजर उन्होंने कहा, 'अब हम दूसरे चरण का चिकित्सकीय परीक्षण शुरू करने जा रहे हैं और बड़ी जनसंख्या में इस दवा से होने वाले बचाव और रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने की इसकी ताकत का मूल्यांकन किया जायेगा।'
सरकार से अनुमति मिलने वाली दूसरी दवा कंपनी जायडस केडिला को पिछले महीने उसके कोविड-19 के उपचार के लिये तैयार टीके के मानव परीक्षण की घरेलू प्राधिकरण से अनुमति प्राप्त हुई। देश दुनिया में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों के बीच यह दूसरी भारतीय दवा कंपनी है जिसे सरकार की तरफ से परीक्षण की अनुमति मिली है।
भारत बायोटेक पहली कंपनी इससे पहले भारत के पहली कोविड-19 टीके 'कोवाक्सिन' के परीक्षण की अनुमति भारत बायोटेक को दी गई। भारत बायोटेक ने भारतीय चिकित्सास अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और नेशनल इंस्टीट्यूट आफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर कोरोना वायरस के इलाज में संभावित रूप से काम आने वाले इस टीके को तैयार किया है।
विश्व स्तर पर, 100 से अधिक वैक्सीन उम्मीदवार हैं और दो दर्जन से अधिक नैदानिक परीक्षणों के विभिन्न चरणों में हैं। भारत के सीरम संस्थान द्वारा निर्मित किए जाने वाले ऑक्सफोर्ड वैक्सीन को भी चरण 2 और 3 नैदानिक परीक्षणों के लिए मंजूरी दे दी गई है जो कि भारत में 17 स्थानों पर एक सप्ताह के भीतर शुरू होगी।
COVAXIN का भी चल रहा है ह्यूमन ट्रायल
COVAXIN को हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (BBIL) ने ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) और NIV (नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी), पुणे के साथ मिलकर बनाया है और देश के 12 संस्थानों में इसका ह्यूमन ट्रायल होना है।
कैसे रहे है अभी तक के परिणाम अगर इसके रिजल्ट की बात करें तो दिल्ली में एक 30 साल के व्यक्ति को यह टीका दिया गया था और उसमें किसी तरह के दुष्परिणाम नजर नहीं दिखे। इसी तरह पीजीआई-रोहतक में भी इस वैक्सीन ने अच्छे परिणाम दिखाए हैं।
पीजीआई-रोहतक में रहा अच्छा रिजल्ट टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, रोहतक में अध्ययन के चरण की अगुवाई कर रही डॉक्टर सविता वर्मा ने कहा कि मानव परीक्षण के लिए छह वालंटियर्स चयनित किये गए हैं और उनमें इस वैक्सीन के अच्छे परिणाम दिख रहे हैं। रिसर्च ग्रुप ने कहा है कि वैक्सीन का पहला चरण पूरा हो गया है। देशभर के 50 लोगों को टीका लगाया गया था और उसके परिणाम बेहतर रहे हैं।
दिल्ली-एम्स में नहीं दिखा कोई दुष्प्रभाव एम्स-दिल्ली की एक रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि जिस पहले वालंटियर को खुराक दी गई थी, उसकी निगरानी दो सप्ताह तक जारी रखी जाएगी। इंजेक्शन के बाद, उन्हें दो घंटे तक देखा गया और रोगी में कोई विशिष्ट या अन्य दुष्प्रभाव नहीं देखा गया।
पटना मेडिकल इंस्टीट्यूट में भी परिणाम बेहतर इसके अलावा पटना के मेडिकल इंस्टीट्यूट में भी मरीजों को टीका लगना शुरू हो गया है। पहले दौर में अब तक नौ लोगों को खुराक दी गई है और अस्पताल की योजना है कि आने वाले हफ्तों में 18-20 और लोगों को टीके का परीक्षण किया जाए।