01 अगस्त। धान की फसल को विभिन्न प्रकार के कीटों से बचाने के लिए कृषि बीज भंडार कार्यालय ने आवश्यक उपाय बताए हैं। इससे कीट लगने की आशंका से किसानों को मुक्ति मिल सकती है। कीटों और रोगों से बचाकर किसान अच्छा पैदावार ले सकते हैं।
नगर स्थित राजकीय कृषि बीज भंडार कार्यालय प्रभारी देवी सिंह ने किसानों से अपील की है कि किसानों का भरपूर देखभाल ही धान की फसल का सबसे अच्छा प्रबंधन है। बारिश के मौसम में धान की फसल में विभिन्न प्रकार के कीट लग जाते हैं, जिससे फसल को नुकसान होता है। धान की फसल में खरपतवार अधिक हो तो उसकी निराई और गुड़ाई के साथ ही कीटनाशक दवा को प्रति एकड़ के हिसाब से सौ लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
इस मौसम में धान की फसल में दीमक लग सकता है। इसका सबसे अधिक प्रकोप असिंचित क्षेत्र में होता है। यह कीट पौधों की जड़ काट देता है और धीरे धीरे पौधा सूख जाता है। बाद में वह आसानी से उखड़ जाता है। इसकी रोकथाम के लिए क्लोरोपायरीफास 20 ई सी 4 से 5 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। इसके साथ ही धान की फसल में जीवाणु झुलसा रोग भी लग सकता है।
इसके लगने से पत्तियों की नोक व किनारे सूख जाते हैं। इस पर अंकुश लगाने के लिए खेत का पानी निकालकर 15 ग्राम स्टप्टोसाइक्लीन व कॉपर आक्सीक्लोराइड का 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। धान की फसल में फफूंदी लगे तो एक किलोग्राम ट्राइकोडर्मा दवा प्रति एकड़ की दर से छिड़काव कर सकते हैं। जो कि कृषि रक्षा इकाई पर 100 रुपये प्रति किलो में उपलब्ध है। इस पर 75 प्रतिशत अनुदान सरकार दे रही है।