अफ़ीम के पौधे पैपेवर सोमनिफेरम के 'दूध' (latex) को सुखा कर बनाया गया पदार्थ है, जिसके सेवन से मादकता आती है। इसका सेवन करने वाले को अन्य बातों के अलावा तेज नीद आती है। अफीम में 12% तक मार्फीन (morphine) पायी जाती है जिसको प्रसंस्कृत (प्रॉसेस) करके हैरोइन (heroin) नामक मादक द्रब्य (ड्रग) तैयार किया जाता है।
अफीम के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे, अफीम का पौधा होता है और अफीम, अफीम के डोडे से प्राप्त होता है और डोडे के अंदर बीज होते हैं जिसे खसखस के नाम से भी जानते हैं, यदि आप बाजार में अफीम खरीदने जाएंगे तो आपको अफीम बर्फी के रूप में मिलेगी, आपको बता दें जब अफीम पर नमी का असर होता है तो अफिम मुलायम हो जाती है और इसका आंतरिकी रंग गहरा बादामी और चमकीला होता है, जबकि बाहरी रंग कालीमार लिया हुआ गहरा भूरा होता है, इसके अंदर तीव्र गंध आती है, यदि आप इसे जलाने की कोशिश करेंगे तो इसके अंदर से ना तो धुँआ निकलेगा और ना ही इसकी राख शेष बचती है|
अफीम को आप इसके स्वाद के अनुसार पहचान सकते हैं, जब आप अफीम का सेवन करेंगे तो यह कड़वी कसेली, पचने में कटु और गुण में रुखी होती है, इसका प्रभाव नाड़ी संस्थान पर मददगार होता है, यह नशा लाने वाली होती है, यह नींद लाने वाली होती है, यह समाधान केंद्र की साधक शुक्र स्तंभक और वेदना रोधक धातुओं को सोखने वाली होती है|
यदि आप अफीम का सेवन करते हैं तो यह गर्म तासीर की होती है, यह कफ वात शामक, पित प्रकोप, वेदना नाशक, सारिक स्राव को रोकने वाली, पसीना लाने वाली होती है, यह मस्तिष्क की शक्ति को उत्तेजित करती हैं, शरीर की शक्ति व गर्मी को बढ़ाने से संतोष और आनंद की अनुभूति होती है, यदि इसकी आदत पड़ जाए तो व्यक्ति के शारीरिक अंगों की पीड़ा दूर होती है ये प्रकृति स्तंभन शक्ति बढ़ाने वाली, कमर दर्द, मधुमेह बहुमूत्र, दर्द, श्वाश्ने के विविध रोग आदि खून दस्त में गुणकारी है|
यदि कोई व्यक्ति अफीम का सेवन करता है तो इसके प्रभाव से मुख्य रूप से नाड़ियों के सूचना केंद्र पर और मस्तिष्क पर ज्यादा प्रभाव पड़ता है, इससे पीड़ा कम होती है और नींद जल्दी आती हैं|
इसका प्रयोग आपने देखा होगा अक्सर बच्चों को अफीम खिलाया जाता है, ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि बच्चे को जल्दी नींद आ जाए और शरीर की दबी हुए नाडी खुल जाए, लेकिन ये मस्तिक को सबसे जादा प्रभावित करती है|