कोरोनाकाल में इंसानों के कारण भूमि में होने वाले वाइब्रेशन यानी कम्पन में 50 प्रतिशत की कमी हुई. भूमि के अंदर का शोर कम हुआ है. यह आंकड़ा बेल्जियम की रॉयल वेधशाला ने दुनियाभर के 117 राष्ट्रों के 268 रिसर्च स्टेशन से मिली जानकारी के आधार पर जारी किया.
रॉयल वेधशाला की रिपोर्ट के मुताबिक, आम दिनों में शहरी क्षेत्र में इंसान, कार, ट्रेन व बसों के कारण भूमि में वाइब्रेशन पैदा होता है लेकिन लॉकडाउन के दौरान भूमि बहुत ज्यादा हद तक शांत रही.
रिसर्च रिपोर्ट से एक बात साफ हुई कि भूमि में कंपन कम होने के कारण भूकंप की जानकारी समय से पहले देना सरल हो जाता है. भूमि में कम्पन कितना हुआ इसे सिस्मोमीटर्स के जरिए मापा जाता है. इन सेंसर्स का प्रयोग भूकंपीय तरंगों के साथ मानव गतिविधियों से होने वाली ध्वनि को पकड़ने व समझने में कार्य आता है. यह बारीक से बारीक वाइब्रेशन साउंड को माप सकता है. संसार के हर हिस्सों में इससे मॉनिटरिंग की जाती है.
इस रिसर्च के मुख्य शोधकर्ता डाक्टर थॉमस लीकॉक ने अप्रैल में बोला था कि इंसानों की गतिविधि कम होने के कारण हमें ऐसी नयी बातें पता चलेंगी जो पर्यावरण व दूसरी चीजों के लिए सबक साबित होगा.
1. दुनियाभर में शोर कम हुआ शोधकर्ताओं के मुताबिक, 2020 का लगभग आधा वर्ष एक ऐसा लम्बा समय था, जिस दौरान दुनियाभर में होने शोर में कमी आई. रिपोर्ट कहती है कि इससे वैज्ञानिकों को ऐसी कई बातें पता चली हैं जो आम दिनों में इंसानी गतिविधियों के कारण नहीं पता चल पाती थीं.
2. इंसानों की गतिविधि कम हो तो नयी जानकारी मिलना आसान अधिक घनी आबादी वाले क्षेत्रों में इंसानों के कारण होने वाली गड़गड़ाहट का प्रभाव बुरा होता है. ऐसी स्थिति में समय से पहले भूकम्प के प्रभाव को बताने की क्षमता कम हो जाती है. भूकम्प विज्ञानी इसका पता लगाने के लिए ध्वनि की फ्रीक्वेंसी को जांचते हैं जो लोगों की गतिविधि से पैदा होती है. इससे पता चलता है कि प्राकृतिक आपदा आ सकती है या नहीं.
3. आबादी बढ़ी तो लोग प्राकृतिक व भौगोलिक आपदा से जूझेंगे शोधकर्ताओं के मुताबिक, दुनियाभर में जैसे-जैसे आबादी बढ़ रही है वैसे-वैसे लोगों के प्राकृतिक व भौगोलिक आपदा से जूझने का खतरा भी बढ़ रहा है. शहरीकरण बढ़ने से इंसानों के बीच शोर बढ़ेगा व भूकम्प जैसे गतिविधियों को मॉनिटर करना कठिन होगा.
4. कंपन कम होने से भूकम्प के सटीक आंकड़े समझ में आए शोधकर्ताओं के मुताबिक, लॉकडाउन के कारण हम मैक्सिको जैसे देश में समय से पहले भूकम्प का पता लगा पाए. यहां के शहर पेटेटलन में शोर 40 प्रतिशत तक घट गया. इस वजह से सटीक आंकड़े सामने आ पाए जो आमतौर पर कंपन अधिक होने के कारण सरलता से नहीं समझे जा पाते थे.