कोरोना अस्पताल बदलाव नयी दिल्ली में

दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के सर्जन डा. अभिषेक वैश्य कहते हैं कि अस्पतालों और स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के कार्यालयों में भीड़भाड़ तथा लोगों की आवाजाही को कम करने के लिए कई हॉस्पिटल एवं चिकित्सक मरीजों को यह सलाह दे रहे हैं कि वे वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए ही परामर्श लें। कई तो इसे लागू भी कर रहे हैं। किसी डॉक्टर के यहां या किसी हेल्थकेयर सेंटर जाने के बजाय रिमोट केयर की मदद से मरीज को क्लिनिकल सेवा प्रदान की जा सकती है। कोविड-19 के पहले कई हेल्थकेयर प्रदाता रिमोट केयर को लेकर दुविधा में थे लेकिन अब जब कई क्षेत्रों में सोशल डिस्टेंसिग को अनिवार्य बना दिया गया है तब चिकित्सकों में भी इसके प्रति यह दिलचस्पी बढ़ गई है।

मेदांता मेडिसिटी के कैंसर इंस्टीच्यूट के रेडिएशन ओंकोलॉजी की प्रमुख डॉ. तेजिन्दर कटारिया के अनुसार अब अस्पताल में कोविड-19 के मरीजों के लिए पूर्ण रूप से संक्रामक रोग (आईडी) विभाग बन गया है। कैंसर जैसी बीमारियों के मरीजों के लिए अलग से एक प्रवेश द्बार (ग्रीन कॉरिडोर) बनाया गया है। उन्होंने कहा कि सुरक्षा मानदंडों को बनाए रखने के लिए, प्रतीक्षा कक्ष से पत्रिकाओं, पुस्तकों और समाचार पत्रों को हटा लिया गया है। कई अस्पतालों में हर मरीज द्बारा उपयोग में लायी गयी सामग्रियों को साफ करने के लिए खास विधि लागू की गयी है और हाउस कीपिग कर्मचारी उस विधि का पालन कर रहे हैं। हर चार घंटे में हाउस कीपिग कर्मचारी सोडियम हाइपोक्लोराइट (ब्लीच) के घोल से डोर-नॉब, हैंडल, कंप्यूटर मॉनिटर, बैनिस्टर, फ्लोर, चमकदार सतहों को साफ करते हैं। सभी प्रवेश द्बारों को खुला रखा जाता है ताकि लोगों द्बारा इनके छूने की आशंका कम से कम हो।
नोएडा के यथार्थ सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रमुख डॉ. कनिका अग्रवाल कहती हैं कि अस्पतालों ने गर्भवती महिलाओं के लिए सावधानियां बरतनी शुरु कर दी हैं। अस्पताल में सामाजिक दूरी के नियमों को ध्यान में रखते हुए प्रवेश द्बार से लेकर ओपीडी क्षेत्र तक मरीजों की फ्लू स्क्रीनिग होती है। प्रसूति वार्ड में प्रसव के दौरान पर्सनल प्रोटेक्टिव उपकरणों का समुचित इस्तेमाल होता है। हर डिलीवरी और सीजेरियन प्रक्रिया सम्पूर्ण पीपीई किट पहन कर की जाती है। हर लेबर रूम और ऑपरेशन थिएटर को नियमित रूप से सेनेटाइज किया जाता है। पूर्व बुकिग के साथ - साथ 'वॉक इन' मामले भी आते हैं और इन सभी मामलों में समुचित रूप से विस्तृत यात्रा इतिहास लिया गया है, जोन चेक (ग्रीन, ऑरेंज या रेड) किया जाता है और बुखार, खांसी तथा सर्दी जैसे लक्षणों की जाँच की जाती है। अस्पताल में बच्चों के लिए अलग से विशेष ओपीडी सेवा शुरु की गयी है। इसके कारण बच्चे अस्पताल आने वाले अन्य लोगों के संपर्क में आने से बचे रहेंगे। इस क्षेत्र में काम कर रहे हेल्थकेयर पेशेवर भी संक्रमण के नियंत्रण की सभी सावधानियां बरतते हैं ताकि माता-पिता नियमित जांच या नियमित टीकाकरण के लिए या अन्य बीमारियों के उपचार या परामर्श के लिए तनावमुक्त होकर अस्पताल आएं। डा. अभिशेक वैश्य ने कहा ,'' इस महामारी के समय स्पर्शरहित..टचलेस.. इंटरफेस एवं इंटरैक्शन को महत्व दिया जा रहा है। चिकित्सा के क्षेत्र में यह अधिक देखने को मिल सकता है। कोविड-19 ने हममें से ज्यादातर को उन सभी स्पर्श की जाने वाली (टचेबल) सतहों के प्रति अति-संवेदनशील बना दिया है जो संक्रमण को फैला सकती है इसलिए कोविड-19 के बाद की दुनिया में, इस बात का अनुमान है कि हमारे पास कम टच स्क्रीन होंगे और अधिक से अधिक वॉयस इंटरफेस और मशीन विजन इंटरफेस होंगे।'' उन्होंने कहा ,'' कोरोना वायरस के कारण अब हम टेलीमेडिसीन के जरिए मरीजों को उनकी जरूरत के अनुसार मदद कर रहे हैं। डिजिटल जगत ने हमारे लिए जागरुकता का एक मार्ग को खोला है और इसकी मदद से हम वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए मरीजों को सलाह दे सकते हैं।'

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