बढ़ते मोटापे से परेशान हैं? डाइटिंग से लेकर अभ्यास तक सब आजमा लिया, पर ज्यादा लाभ नहीं हो रहा है? अगर हां तो एक बार ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ की तकनीक पर अमल करके देखें.
अमेरिका स्थित इलिनॉयस यूनिवर्सिटी के हालिया अध्ययन में इसे वजन घटाने में खासा असरदार पाया गया है. प्रतिभागी मन मारे बिना ही कैलोरी की खपत में औसतन 550 की कमी लाने में पास साबित होते हैं.
क्या होती है ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ -‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ के तहत कैलोरी में कटौती के बजाय खाने का समय निर्धारित कर उस पर सख्ती से अमल करने पर जोर दिया जाता है. विशेषज्ञ तीनों पहर का खाना चार से दस घंटे की समयसीमा में निपटाने की सलाह देते हैं. इस दौरान मनपसंद पकवान खाने पर कोई रोक नहीं होती. हालांकि, बाकी बचे 14 से 20 घंटों में भूख महसूस होने पर सिर्फ पानी पीने की इजाजत होती है.
58 वयस्कों पर किया अध्ययन -क्रिस्टा वराडी के नेतृत्व में हुए इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने मोटापे के शिकार 58 वयस्कों को तीन समूह में बांटा. पहले समूह में शामिल प्रतिभागियों को लगातार दस सप्ताह तक दोपहर तीन से शाम सात बजे के बीच तीनों पहर का खाना खिलाया. वहीं, दूसरे समूह को दोपहर एक से शाम सात बजे में दिनभर की डाइट लेने की सलाह दी. तीसरे समूह को सामान्य रूप से खाना खाने के लिए बोला गया.
18 घंटे भूखे रहना भी काफी -11वें सप्ताह में जाँच के दौरान पहले व दूसरे समूह में शामिल लोगों का वजन समान रूप से घटता दिखा. इससे स्पष्ट है कि ‘इंटरमिटेंट फास्टिंग’ से ज्यादा से ज्यादा लाभ हासिल करने के लिए 20 घंटे भूखे रहना महत्वपूर्ण नहीं है. छह घंटे में तीनों पहर की खुराक लेकर 18 घंटे व्रत रखना भी उतना ही असरदार है. अध्ययन के नतीजे ‘जर्नल सेल मेटाबॉलिज्म’ के हालिया अंक में प्रकाशित किए गए हैं.