कोरोनावायरस का भय लोगों के दिमाग की गहराई में डेरा जमाए है व ऐसा इसलिए बोला जा रहा है क्योंकि 59.8 प्रतिशत लोगों का बोलना है कि उन्हें इस बात का भय है
कि उनके परिवार का कोई मेम्बर कोरोना से संक्रमित होने कि सम्भावना है. आईएएनएस-सी-वोटर सर्वेक्षण के नतीजे के मुताबिक, जब लोगों से पूछा गया कि वे निम्नलिखित उक्ति में किससे अधिक सहमत हैं या असहमत हैं - मुझे भय है कि मेरे या मेरे परिवार का कोई मेम्बर वास्तव में कोरोनावायरस की चपेट में आ सकता है - 59.9 फीसदी लोगों ने इससे सहमति जताई जबकि 34.9 ने असहमति जाहीर की.
लोगों की इस रिएक्शन से पता चलता है कि संक्रमण के खतरे का भय उनमें कितना ज्यादा है. इस सर्वेक्षण को चार महीने की अवधि में पूरा किया. मार्च में राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन लगाए जाने के कुछ दिनों पहले अपने संक्रमित होने को लेकर कई लोगों ने चिंतित नजर आए थे व 31 मार्च के बाद से एक प्रवृत्ति सामने आई जिसके तहत लोगों को लगा कि उनके खुद के या परिवार के किसी मेम्बर के वास्तव में महामारी से संक्रमित होने की संभावना है.
कोरोनावायरस की चपेट में आने की यह प्रवृत्ति लोगों में 31 मार्च से लेकर 30 मई तक व भी ज्यादा देखी गई. जून में देश में कोरोनावायरस के मामलों में रोजाना के हिसाब से जब ज्यादा उछाल देखा गया तो लोगों में संक्रमण का खतरा व भी बढ़ गया. सर्वेक्षण से पता चलता है कि जुलाई में कई लोग इस बात से चिंतित नजर आए कि उनके परिवार के किसी न किसी मेम्बर में इससे संक्रमित होने की संभावना है.