चेन्नई में मात्र ₹10 में इलाज करने वाले डॉक्टर का निधन, कुछ दिन पहले ही कोरोना को दी थी मात।

चेन्नई. सिर्फ 10 रुपये में गरीबों का इलाज करने वाले डॉक्टर सी मोहन रेड्डी (Dr C Mohan Reddy) का निधन हो गया है. वे 84 साल के थे. कोरोना (Coronavirus) महामारी के दौरान भी डॉक्टर रेड्डी मरीज़ों का लगातार इलाज करते रहे. जून के आखिरी हफ्ते में वो खुद कोरोना वायरस का शिकार हो गए. बाद में रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें हॉस्पिटल से छुट्टी भी दे दी गई. लेकिन बुधवार को अचानक वे बेहोश हो कर वो गिर पड़े और उनकी मौत हो गई.

गरीबों का मुफ्त इलाजअंग्रेजी अखबार द न्यू इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, डॉक्टर रेड्डी की मौत से पूरे इलाके में शोक की लहर है. खास कर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग बेहद दुखी हैं.
हॉस्पिटल की एक नर्स ने बताया कि कई बार तो वो मरीजों से 10 रुपये की फीस भी नहीं लेते थे और मुफ्त में इलाज करते थे. इतना ही नहीं हॉस्पिटल में एडमिशन चार्ज भी वो सिर्फ 100 रुपये लेते थे.
गरीबों के लिए हॉस्पिटल1936 में जन्मे डॉक्टर रेड्डी ने शुरुआती शिक्षा गुदुर से ली थी. बाद में उन्होंने किलपॉक मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री ली. कुछ दिनों तक रेलवे के हॉस्पिटल में काम करने के बाद उन्होंने गरीबों के लिए चेन्नई के विल्लवक्कम में मोहन नर्सिंग होम की शुरुआत की. ये 30 बेड का हॉस्पिटल है. शादी न करने वाले डॉक्टर रेड्डी हॉस्पिटल में ही रहते थे, जिससे कि मरीजों को इलाज़ कराने में कभी भी कोई परेशानी न हो.
हॉस्पिटल में ही रहते थेडॉक्टर रेड्डी के भाई सीअएमके रेड्डी ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान भी वो हॉस्पिटल में ही रहते थे. उन्होंने कहा, 'हमने उसे घर आने और लॉकडाउन के दौरान हमारे साथ रहने के लिए कहा था लेकिन उसने कहा, अगर मैं अस्पताल छोड़ दूं तो मरीजों के लिए कौन होगा? मोहन रेड्डी सिर्फ मरीजों का इलाज ही नहीं करते थे बल्कि वे इलाके के कई जरूरतमंद लोगों के लिए खाना बांटते थे.
उनके भाई ने कहा, '23 जून को अपने जन्मदिन पर महामारी के बावजूद, उन्होंने इलाके में झुग्गी में रहने वालों को खाने के पैकेट वितरित किए.'

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