कोविड-19 के इलाज के लिए ब्रिटिश शोधकर्ताओं ने एयरोसोल पर आधारित नयी उपचार पद्धति विकसित की है. इससे सार्स-कोव-2 वायरस से संक्रमित मरीजों के आईसीयू में भर्ती होने व मृत्यु का खतरा घटाने में बहुत ज्यादा हद तक मदद भी मिली है.
बायोटेक फर्म सिनएयरजेन ने ‘इंटरफेरॉन बीटा’ प्रोटीन को पानी की सूक्ष्म बूंदों (एयरोसोल) में कैद करने में सफलता हासिल की है. जब संक्रमितों ने नाक के रास्ते एयरोजोल में कैद प्रोटीन को ग्रहण किया तो न सिर्फ उनमें संक्रमण के गंभीर स्तर पर पहुंचने का जोखिम 79 प्रतिशत तक घट गया, बल्कि अन्य मरीजों की तुलना में उनके अच्छा होकर घर लौटने की दर भी दोगुनी हो गई.
सिनएयरजेन ने दावा किया कि एयरोसोल पद्धति कोरोना के विरूद्ध जंग में क्रांति लाएगी. इसकी मदद से नाक, गले, फेफड़ों व श्वास प्रणाली में उपस्थित सार्स-कोव-2 वायरस को चंद दिनों में ही नष्ट करना मुमकिन होगा.