डुमरांव, बक्सर। डुमरांव नगर परिषद सरकार के नियम और निर्देश के विपरीत काम करती है। नगर परिषद को न तो अपने विभागीय नियम तथा निर्देश की परवाह है, न ही डीएम द्वारा मांगे गए स्पष्टीकरण की चिता है। नगर के वार्ड संख्या 19 में बहुचर्चित सड़क घोटाला में दैनिक जागरण की खबर पर संज्ञान लेते हुए तीन दिनों में स्पष्टीकरण का जवाब देने के डीएम के निर्देश पर एक सप्ताह बाद भी जवाब तैयार नहीं हो पाया। नप के जानकार सूत्र बताते हैं कि डीएम के स्पष्टीकरण का जवाब देने में विलंब की एक वजह संचिका का गायब होना है।
पूर्व वार्ड पार्षद सुनील तिवारी का कहना है कि नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार संविदा पर बहाल जेई विभागीय काम नहीं कराएंगे। लेकिन, नगर परिषद द्वारा दर्जनों और करोड़ों रुपये के विभागीय काम कराए गए हैं। परमानेंट जेई एक साथ तीन विभागीय काम दिया जा सकता है, जिसे बारी-बारी से पूरा करना होता है। लेकिन, इस निर्देश की भी अवहेलना की गई है। कार्यपालक पदाधिकारी बोर्ड की स्वीकृति लिए बिना 70 हजार से अधिक की राशि की निकासी नहीं कर सकते हैं। लेकिन, नगर परिषद में अगस्त 2019 से अक्टूबर 2019 तक प्रत्येक माह कूड़ा उठाव के नाम पर साढे दस लाख की निकासी नियम विरुद्ध की गई है। जिस पर बोर्ड तथा सशक्त स्थाई समिति की भी अनुशंसा नहीं है। विभागीय निर्देश के अनुसार हर खरीददारी जेम पोर्टल से की जानी है। लेकिन, व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए जेम पोर्टल के बजाय डुमरांव में जाड़े में कंबल की खरीदारी लोकल मार्केट से की गई। उन्होंने कहा कि अगर पूरे मामले की जांच कराई जाए तो डुमरांव नगर परिषद में चौंकानेवाले मामले सामने आएंगे। जो नगर विकास एवं आवास विभाग तथा नगरपालिका अधिनियम के विपरीत है। - कहते हैं कार्यपालक पदाधिकारी लॉकडाउन में व्यस्तता के कारण डीएम के स्पष्टीकरण का जवाब नहीं दिया जा सका है। वैसे भी यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है। इस मामले में आरोपित जेई से राशि की रिकवरी कर ली गई है। नगर विकास एवं आवास विभाग के निर्देशों की अवहेलना का आरोप दुर्भावना से प्रेरित है।
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- सुजीत कुमार, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, डुमरांव।
Posted By: Jagran
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