ब्लड प्रेशर हाई होने पर जा सकती है बच्चे की आंखों की रोशनी

हाई बीपी को हम अकसर बड़े उम्र वर्ग के लोगों से जोड़ के देखते हैं जबकि ऐसा नहीं है। बच्चे भी हाई बीपी और हार्ट डिजीज के लक्षणों से ग्रसित हो सकते हैं। यह इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि बच्चों में हाई बीपी का निर्धारण करना काफी कठिन होता है।

बच्चों में हाई बीपी की समस्या बढ़ती जा रही है। बेसेल यूनिवर्सिटी, स्विट्जरलैंड में हुए एक नवीन अध्ययन में पता चला है कि जिन बच्चों की रेटिना धमनी संकीर्ण (कम व्यास वाली) होती है, उन्हें उच्च रक्तचाप का खतरा अधिक होता है और रेटिनल माइक्रोवस्कुलर लॉस होने की संभावना भी अधिक बढ़ जाती है।
रेटिनल ब्लड वेसल्स की स्टडी से वयस्क लोगों मे हृदय रोग की संभावनाओं का पता शुरू से लगाया जाता रहा है। शोधकर्ताओं की मानें तो बच्चों में हृदय संबंधित समस्याओं के लक्षण विकसित होने में हाई बीपी मुख्य कारक है। इसी उच्च रक्तचाप के कारण बच्चे कम उम्र में ही आंखों की रोशनी खो सकते हैं।
जर्नल ऑफ द अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन में प्रकाशित इस रिपोर्ट के लिए बेसलाइन ब्लडप्रेशर और रेटिना धमनी की माप पर अध्ययन के लिए 2014 में बेसल, स्विट्जरलैंड के 26 स्कूलों के छह से आठ साल के 262 बच्चों का चुनाव किया।
आंकड़े 2014 और फिर 2018 में जुटाए गए। रिजल्ट से स्पष्ट हुआ कि बेसलाइन पर नैरो रेटिनल आर्टरी डायमीटर्स वाले बच्चों में हाई सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर होने का डर ज्यादा होता है। इसलिए रेटिनल माइक्रोवैस्कुलर हेल्थ और ब्लड प्रेशर मॉनिटरिंग पर बचपन से ही ध्यान दिया जाना चाहिए।
साथ में जीवनशैली में बदलाव से भी परिस्थितियों में सुधार आ सकता है। बच्चों के वजन को नियंत्रित रखें। गुस्सा, चिड़चिड़ापन दिखाने वाले बच्चों की काउंसिलिंग कराएं और प्यार से व्यवहार करें। इसके अलावा उनके खान-पान में पौष्टिक चीजें ही दें और जहां तक हो सके उन्हें स्मार्टफोन सीमित समय ही यूज करने दें।

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