अमरीकी स्वास्थ्य उत्पाद निर्माता कंपनी क्विंटाइल्स के वैज्ञानिकों के हालिया शोध में सामने आया कि जिन बुजुर्गों में संज्ञानात्मक गतिविधियां (Cognitive Functions) निर्बल हो चली थीं उनमें गिरता स्वास्थ्य व बाद में दांत गिरने का खतरा अधिक था.
कम्युनिटी डेंटिस्ट्री व ओरल एपिडेमियोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन से पता चला कि सबसे उच्च दिमागी गतिविधियों में संलिप्त रहने वाले बुजुर्गों की तुलना में निम्न दिमागी गतिविधियों वाले वरिष्ठजनों में 39 फीसदी अधिक दांतों की हानि होती है.
पिछले अध्ययनों के अनुसार, केवल 10 से 19 दांतों वाले बुजुर्गों में वजन घटने, भूख कम लगने के अतिरिक्त कुपोषण जैसी समस्याओं से ग्रस्त होने की आंशका ज्यादा है. इतना ही नहीं ऐसे बुजुर्गों में मनोभ्रंश व अवसाद का भी अधिक जोखिम होता है. अध्ययन में 50 साल या उससे अधिक आयु के 4,416 लोग शामिल थे. दांतों के गिरने से मस्तिष्क में दीर्घकालिक बदलाव होते हैं. शोध में जिन चूहों में उनके दाढ़ के दांत निकाले गए थे, उनमें निरंतर न्यूरोप्लास्टिक बदलाव हुए थे जो एक से दो महीने तक चले थे. विशेष रूप से, यह अध्ययन सामान्य शारीरिक मस्तिष्क परिवर्तनों, विशेष रूप से, सफेद मस्तिष्क पदार्थ परिवर्तनों व पार्किंसंस रोग के रोगियों की जाँच करता है.