अक्सर बोला जाता है कि जैसा हम खुद के बारे में महसूस करते हैं वैसे ही हमारा व्यक्तित्त्व भी हो जाता है. बुजुर्गों की इस बात को अब दक्षिण कोरिया (South Korea) की सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी (Seol National University) के एक नए अध्ययन (Study) ने साबित कर दिखाया है.
विश्वविद्यालय का दावा है कि जो आदमी खुद को युवा महसूस करते हैं उनके मस्तिष्क की आयु बढऩे की दर धीमी हो सकती है. 'जर्नल फ्रंटियर्स इन एजिंग न्यूरोसाइंस' में प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार जिन लोगों को लगता है कि वे अपनी आयु से कम हैं उनका स्वास्थ्य संबंधी परीक्षणों जैसे याददाश्त, वजन उठाने जैसे परीक्षण पैमानों पर अव्वल आने की आसार अधिक होती है. शोधकर्ताओं का मानना है कि ऐसे लोगों को यह विश्वास होता है कि वे अब भी युवा हैं इसलिए उनका स्वास्थ्य बेहतर है. शोधकर्ताओं ने बोला कि ऐसे व्यक्तियों में अवसाद (Depression) के लक्षण भी नजर नहीं आए.
सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी की शोधकर्ता ज्यांगयुंग चे ने बताया कि शोध में हमने पाया कि जो लोग खुद को कम आयु का महसूस करते हैं उनमें युवा मस्तिष्क जैसी संरचनात्मक विशेषताएं होती हैं. इतना ही नहीं यह अंतर तब भी उपस्थित रहता है, जब हमारी शख्सियत से जुड़े स्वास्थ्य, अवसादग्रस्त होने या देर तक याद न रख पाने के लक्षण या कार्यों सहित अन्य संभावित कारकों पर इस भावना को परखा जाता है. 2017 में हुए एक अन्य शोध के अनुसार युवा महसूस करने से सिर्फ मस्तिष्क पर ही सकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि इससे यौन ज़िंदगी की गुणवत्ता पर भी सकारात्मक असर पड़ता है. इसलिए खुद को युवा महसूस करें व ज़िंदगी भर स्वस्थ रहें.