लड़कों हो जाएं सावधान, नहीं तो होगा बहुत बड़ा पछतावा

नई दिल्ली : शादी सात जन्मों का साथ है, पति-पत्नी के बीच पवित्र रिश्ता है, पति-पत्नी एक दूसरे के प्रति पूरी तरह समर्पित और वफादार होते हैं वगैरह-वगैरह। भारतीय संस्कृति में विवाह को बेहद पवित्र संस्कार माना गया है। लेकिन अब जमाना बदल गया है। एक सर्वे में पता चला है कि 55 फीसदी भारतीय अपने पार्टनर के प्रति कम से कम एक मर्तबा बेवफा रहे हैं। इनमें महिलाएं आगे हैं जिनकी तादाद 56 फीसदी है। सर्वे में पता चला है कि 48 फीसदी भारतीयों का मानना है कि एक ही समय में दो लोगों से इश्क करना संभव है। 46 फीसदी लोग सोचते हैं कि किसी के साथ इश्क में होने के दौरान भी उसके साथ बेवफाई की जा सकती है।

यही कारण है कि किसी अफेयर का भंडाफोड़ होने के बाद भी भारतीय अपने पार्टनर को माफ करने को तैयार रहते हैं। सर्वे बताता है कि 7 फीसदी भारतीय बिना कुछ सोचे अपने पार्टनर को माफ कर देंगे जबकि 40 फीसदी का कहना है कि अगर हालात बहुत खराब नहीं हुए तो पार्टनर को माफ किया जा सकता है। 69 फीसदी लोगों को उम्मीद रहती है कि उनका पार्टनर उन्हें माफ कर देगा। ये सर्वे दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, पुणे, कोलकाता और अहमदाबाद में 25 से 50 वर्ष के शादीशुदा भारतीयों के बीच भारत के पहले विवाहेत्तर डेटिंग एप 'ग्लीडन' द्वारा किया गया। सर्वे के अनुसार भारत में तलाक की दर विश्व में सबसे कम (1 फीसदी) है।
भारत में प्रति एक हजार दंपतियों में मात्र 13 ही अलग होते हैं। भारत में 90 फीसदी शादियां परिवारों द्वारा तय की जाती हैं और मात्र 5 फीसदी लव मैरिज करते हैं। शादीशुदा 49 फीसदी लोगों ने स्वीकार किया है कि अपने पार्टनर के अलावा किसी और के साथ उनके अंतरंग संबंध रहे हैं। 47 फीसदी ने कहा कि उन्होंने कैजुएल यानी आकस्मिक सेक्स किया है। सर्वे के अनुसार भारतीय महिलाओं के बारे में जो छवि बनी है उससे इतर स्थिति है। 41 फीसदी ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने पति के अलावा किसी और के साथ नियमित तौर पर सेक्सुअल संबंध बनाए हैं। पुरुषों के मामले में ये आंकड़ा 26 फीसदी का है।
शादीशुदा 53 फीसदी महिलाओं ने कबूल किया कि उन्होंने पति के अलावा किसी अन्य के साथ अंतरंग संबंध रखे हैं। ये बात 43 फीसदी पुरुषों ने स्वीकार की। सुप्रीमकोर्ट ने 2018 के एक फैसले में एडल्ट्री यानी विवाहेत्तर संबंध को अपराध की श्रेणी से बाहर करते हुए कहा था कि ये कानून जीवन और समानता के अधिकार का उल्लंघन है। 'ग्लीडन' एक का कहना है कि कोर्ट का आदेश आने के बाद से उसके ग्राहकों की संख्या कई गुना बढ़ गई है।

अन्य समाचार