आपके बच्चे को फूड एलर्जी है तो ना करे नज़रअंदाज़, बस अपनाए ये तरीका

बच्चे अपना खाना बांटकर खाना पसंद करते हैं. ऐसे में अपने बच्चों के साथ उन बच्चों का भी खयाल रखना पड़ता है जो हमारे बच्चों के साथ रोज खाने-पीने की चीजें शेयर करते हैं. इसलिए लंच बॉक्स में क्या रखा जाए यह एक मां के नजरिए से बहुत बड़ी समस्या है. इस बात का भी ध्यान रखना पड़ता है कि बच्चों को जंक फूड या पैक्ड फूड न दिया जाए.

भारत में 2 प्रतिशत बच्चे प्रभावित अस्थमा व एलर्जी फाउंडेशन ऑफ अमरीका के 'किड्स विद फूड एलर्जी' के अनुसार अमरीका में 13 में से 1 बच्चे को खाने से संबंधित एलर्जी है. वहीं अमरीकी फूड एवं ड्रग प्रशासन की मानें तो खाद्य पदार्थों से संबंधित 90 प्रतिशत एलर्जी 8 खाद्य पदार्थों से होती है. हिंदुस्तान में खाद्य संबंधी एलर्जी से ज्यादा प्रभावित बच्चे ही हैं. देश की कुल आबादी का 1 से 2 प्रतिशत भाग खाद्य संबंधी एलर्जी से प्रभावित है.
कक्षाओं में सबसे ज्यादा होती एलर्जी बच्चों को अक्सर स्नैक्स संबंधी उत्पादों से एलर्जी का जोखिम ज्यादा होता है. बच्चों को फूड एलर्जी संबंधी रिएक्शन या अटैक आने की सबसे ज्यादा संभावना कक्षा में होती है न कि कैंटीन में. संभवत: ऐसा घर से लाया गया खाना न खाकर साथियों का दिया खाद्य उत्पाद खाने के कारण है. एक अन्य कारण अध्यापकों को फूड एलर्जी के समय क्या किया जाना चाहिए इस बारे में जानकारी न होना भी है. तीसरा कारण बच्चों में एक-दूसरे से फैलने वाले संक्रमण व अच्छा से हाथ न धोना भी होने कि सम्भावना है. स्कूल व घर पर बच्चों को फूड एलर्जी से बचाते हुए स्मार्ट व सुरक्षित खाने के बारे में कुछ सुझाव इस प्रकार हैं-
01. बच्चों को उनकी एलर्जी के बारे में समझाएं सबसे पहले तो अपने बच्चे को उसकी एलर्जी के बारे में समझाएं. बच्चे को क्या कठिनाई है व किन बातों का ध्यान रखना है इन बातों को भी समझने में मदद करें. इतना ही नहीं अगर बच्चों को कोई खाद्य संबंधी एलर्जी नहीं भी है तो उन्हें उन्हें इसके बारे में बताएं क्योंकि कक्षा में उनके दोस्तों को इस तरह की समस्या हो सकती है. यह भी बताएं कि फूड एलर्जी हो तो उन्हें अपने साथियों के साथ भोजन करने से बचना चाहिए.
02. एलर्जी जनक खाना खाने से बचें बच्चों को बताएं कि उन्हें किस तरह के खाने से एलर्जी है. ऊपर दी गई सूची में शामिल खाद्य पदार्थों के बारे में उन्हें जानकारी दें. हालांकि तिल इसमें शामिल नहीं है लेकिन यह भी एलर्जी के जैसी प्रतिक्रियाएं कर सकता है. यह भी सुनिश्चित करें कि इनमें से किसी भी उत्पाद को पैक न करें यह भी रिएक्शन का कारण बन सकता है. अपने बच्चों को खाद्य पदार्थों पर पड़ी सामग्री की जानकारी पढऩा सिखाएं.
03. बच्चों के लंच बॉक्स पर जानकारी दें इस बात की भी पूरी प्रयास करें कि आपके बच्चों के साथ लंच करने वाले बच्चों को पता रहे कि वे क्या खाने जा रहे हैं या उन्हें क्या नहीं खाना चाहिए. इसके लिए बच्चों के टिफिन बॉक्स पर लेबलिंग करें या जानकारी चस्पा करें. लिखकर भी बच्चों को यह बात बता सकते हैं.
04. बच्चों को स्थिति संभालना सिखाएं जरूरी नहीं कि हर कोई आपके बच्चोंं की कठिनाई को सहानुभूति के तौर पर देखे. एलर्जी की बाद सुनकर या कक्षा में कभी एलर्जी अटैक होने पर बच्चे आपके बच्चों से किनारा कर लें. ऐसे में उन्हें इन परिस्थितियों के लिए भी मानसिक रूप से तैयार करें. उन्हें समझाएं कि असहज महसूस करने या अकेलेपन की बजाय स्थिति को स्वीकार कर अपना प्राकृतिक व्यवहार बनाए रखें. वहीं बच्चों को टिफिन में ऐसी चीजें दें जो स्वादिष्ट, दिखने मेंआकर्षक व रंगीन हों इससे बच्चे का भी खाने का मन करेगा. साथ ही विभिन्न एलर्जी के अनुसार नए-नए खाद्य पदार्थों का पता लगाने के के बारे में भी सोचें.
05. पौष्टिक व स्वास्थ्य भरा हो निवाला विभिन्न प्रकार के खाद्य समूहों को परखें. प्रयास करें कि बच्चों को खाद्य एलर्जी के बावजूद पोषण व भरपेट खाने की कमी न रहे. इसके लिए संयोजन पर भी ध्यान देना होगा. अच्छी क्वालिटी के स्नैक्स पोषण की कमी को दूर करेंगे. इसी प्रकार ताजा फल, सूखे या डीप फ्रीज किए गए मेवे व सब्जियां आम तौर पर सुरक्षित तरीका हो सकते हैं. नूडल मिल्क एक विकल्प है वहीं सागों के जरिए भी बच्चों में पोषण की कमी को पूरा किया जा सकता है. इसके अलावा, जैतून, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज व एवोकाडो पर भी विचार किया जा सकता है. यदि अंडे एलर्जी की वजह हैं तो मछली, सीपियां, सोया, चिकन व दूध से विटामिन बी 12 प्राप्त कर सकते हैं. अगर ग्लूटेन मुक्त है तो ओट्स भी लिए जा सकते हैं. जापानी क्विनोआ भी खाने में लिया जा सकता है.

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