कोशिकाओं का यह असामान्य रूप से बढ़ना ही कैंसर कहलाता है. ये कैंसर किस तरह का है और उसकी गंभीरता क्या है इसके हिसाब से सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडियेशन थेरेपी, इम्यूनोथेरेपी, टारगेट थेरेपी, हार्मोन थेरेपी, स्टेम सेट ट्रांसप्लांट जैसे उपचारों के जरिए कैंसर पीड़ितों का इलाज किया जाता है. कैंसर की जंग जीत चुके लोगों के लिए एक तरह से यह नई जिंदगी होती है.
शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से संघर्ष कर चुके कैंसर सर्वाइवर (यह जंग जीतने वाले मरीज) के लिए नई जिंदगी उतनी आसान भी नहीं होती है. उन्हें पहले से अधिक अपना ध्यान रखने की आवश्यकता होती है. कैंसर के उपचार से गुजर रहे मरीजों के लिए खानपान का भी विशेष ख्याल रखना जरूरी है. उन्हें अपना वजन बनाए रखने के लिए पर्याप्त भोजन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, अब भले ही वे अधिक वजन के हों.
उपचार के दौरान अपने वजन को स्थिर रखने के लिए आवश्यक कैलोरी की मात्रा पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, कैंसर सर्वाइवर्स को उन कैलोरी की गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो वे उपचार के बाद खा रहे हैं.
स्वस्थ वजन बहुत जरूरी है. अपने बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) को जानना जरूरी है कि क्या आपकी ऊंचाई के हिसाब से वजन ठीक है. मोटापा कई बीमारियों से जुड़ा हुआ है, जिसमें मधुमेह, हृदय रोग, स्ट्रोक और हाई ब्लडप्रेशर शामिल हैं. इसे लोगों के कैंसर के खतरे के जोखिम से भी जोड़ा गया है. यहां तक कि अगर स्वस्थ बीएमआई है, तो भी कमर का बढ़ा हुआ नाप और पेट की चर्बी भी कैंसर के जोखिम को बढ़ाती है.
विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल, साबुत अनाज, फलियां और हाई फाइबर वाले खाद्य पदार्थ खाएं. रोजाना फल और सब्जियां खाने का लक्ष्य बनाएं. दो तिहाई ऐसे फूड्स लें जो पौधे आधारित हों. मीट, स्टार्च और मीठा कम खाएं.