एसडीएम रोशनी की कहानी 'शशांक आनंद' की कविता की जुबानी

फूलपुर की एक लकड़ी ने। पूरी की अपनी पढ़ाई पढ़कर उन्होने फिर अपनी किस्मत चमकाई।

प्रयागराज चुनाव हारकर वह दिल्ली शिफ्त हो गयी सहायक अध्यापिका के तौर पे वह एक पोस्ट पे बन गई।
बच्चों को पढ़ाते समय वह अपना भी पढ़ती रही और एक दिन वह एसडीएम बन गई।
रोशनी है नाम उनका वह अपने परिवार में रोशनी लाई कड़ी मेहनत करके उन्होंने अपनी किस्मत चमकाई।

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