कोरोना लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की मदद और सेवा करने वाले काशी के लोगों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संवाद कर रहे हैं। पीएम मोदी ऐसे लोगों और संसाधनों के अधिकारियों से वीडियो क्रांफ्रेंसिंग के जरिये बात कर रहे हैं जो कोरोना काल में लोगों की मदद के लिए आगे आए। यह दोरान लोग अपने-अपने अनुभव साझा कर रहे हैं। पीएम इससे पहले भी संसदीय क्षेत्र के लोगों से बातचीत कर रहे हैं।
अपने संबोधन के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि ये भगवान शंकर का ही आशीर्वाद है कि कोरोना के इस संकट काल में भी हमारी काशी उम्मीद से भरी हुई है, उत्साह से भरी हुई है। ये सही है कि लोग बाबा विश्वनाथ धाम नहीं पा रहे हैं। ये सही है कि मानस मंदिर, दुर्गाकुंड, संकटमोचन में सावन का मेला नहीं लग पा रहा है। लेकिन ये भी सही है कि इस उत्साहित हालात के समय में और मेरी काशी, हमारी काशी ने, इस उत्साहित हालात का जूल मुकाबला किया है।] आज का ये कार्यक्रम भी तो इसी की एक कड़ी ही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन की महत्वपूर्ण बातें:
>> एक बात हमें बार-बार करनी है, हर किसी से करनी है, खुद से भी करनी है। हम सिलेज यूज प्लास्टिक से मुक्ति चाहते हैं। रास्तों पर थूंकने की हमें आदत बदलनी पड़ेगी। दो गज की दूरी, गमछा या फेस मास्क और हाथ धोने की आदत को हमें संस्कार बनाना है।
>> हम सभी के प्रयासों से हमारी काशी भारत के एक बड़े एक्सपोर्ट हब के रूप में विकसित हो सकते हैं और हमें करना चाहिए। काशी को हम आत्मनिर्भर भारत अभियान के अनिश्चितक के रूप में भी विकसित करें, स्थापित करें।
>> इस समय काशी में लगभग 8 हजार करोड़ रुपये के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स पर काम तेजी से चल रहा है। जब स्थितियाँ सामान्य होंगी तो काशी में पुरानी रौनक भी उतनी ही तेजी से लौटेगी। इसके लिए हमें अभी से तैयारी करनी होगी।
>> जन-धन खाते में हजारों करोड़ रुपये जमा करना हो या फिर गरीबों, श्रमिकों के रोजगार की चिंता, छोटे उद्योगों को, रेहड़ी-ठेला लगाने वालों को, आसान ऋण उपलब्ध कराना हो या खेती, पशुपालन, मछलीपालन और दूसरे कामों के लिए। ऐतिहासिक निर्णय, सरकार ने लगातार काम किया है।
>> इसी भावना के साथ केंद्र सरकार ने भी निरंतर प्रयास किया है कि कोरोना के इस समय में सामान्य जन की पीड़ा को साझा किया जाए, उसको कम किया जाए। गरीब को राशन मिले, उसके पास कुछ रुपए रहें, उसके पास रोजगार हो और वह अपने काम के लिए कर्ज ले सके, इन सभी बातों पर ध्यान देना है।
>> कबीरदास जी ने कहा है- सेवक फल मांगे नहीं, सेब करे दिन रात 'यानी - सेवा करने वाली सेवा का फल नहीं मांगता, दिन रात निःस्वार्थ भाव से सेवा करता है। दूसरों की निस्वार्थ सेवा के हमारे यही संस्कार हैं, जो इस मुश्किल समय में काम आ रहे हैं।
>> जब इस बार महामारी आई, तो सभी भारत को लेकर डरे हुए थे। इसमें भी 23-24 करोड़ की आबादी वाले उत्तर प्रदेश को लेकर तो शंकाएं और बहुत ज्यादा थीं। लेकिन आपके सहयोगी ने कहा, उत्तर प्रदेश के लोगों के परिश्रम ने, पराक्रम ने साशाचन को ध्वस्त कर दिया। आज की स्थिति ये है कि उत्तर प्रदेश ने न सिर्फ संक्रमण की गति को ओवर में किया है बल्कि जिसे कोरोना हुआ है, वो भी तेजी से ठीक हो रहे हैं।
>> आज जब मैं आपसे बात कर रहा हूं, तब तक आप केवल जानकारी नहीं ले रहे हैं, बल्कि आप सबसे प्रेरणा ले रहे हैं। अधिक काम करने के लिए, आप जैसे लोगों ने इस परिस्थिति में काम किया, उनका आशीर्वाद ले रहा हूं।
>> हजारों लोगों ने काशी के गौरव को बढ़ाया है। सैकड़ों स्थितियों ने अपने आप को खपा दिया है। सबसे मैं बात नहीं कर पाया हूं, लेकिन मैं हर किसी के काम को आज नमन करता हूं। सेवाभाव से जुड़े हुए हर व्यक्ति को मैं प्रणाम करता हूं।
>> इस परिस्थिति के समय हमने देखा कि आगे एक दूसरे की मदद की है। इसी एकता, इसी सामयिकता ने हमारी काशी को और भव्य बना दिया है।
>> बहुत कम समय में खाद्य हेल्पलाइन और कम्यूनिटी किचन का व्यापक नेटवर्क तैयार करना, हेल्पलाइन विकसित करना, डेटा साइंस की मदद लेना, वाराणसी स्मार्ट सिटी के कंट्रोल एंडैंड सेंटर का भरपूर उपयोग करना, यानि हर स्तर पर सभी ने गरीबों की मदद की। पूरी क्षमता से काम किया।
>> आप सभी के लिए, तमाम संगठनों के लिए और हम सभी के लिए ये बहुत सौभाग्य की बात है कि इस बार गरीबों की सेवा का मध्यम भगवान ने हमें बनाया है। एक तरह से आप सभी माँ अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ के दूत बनकर हर ज़रूरतमंद तक पहुंचे।
>> हमारी काशी में बाबा विश्वनाथ और मां अन्नपूर्णा दोनों विराजते हैं। पुरानी मान्यता है कि एक समय महादेव ने खुद मां अन्नपूर्णा से भिक्षा मांगी थी। केवल से काशी पर ये विशेष आशीर्वाद है कि यहां कोई भूखा नहीं सोएगा, मां अन्नपूर्णा और बाबा विश्वनाथ, सबके खाने का इंतजाम कर देंगे।
>> संक्रमण को रोकने के लिए कौन क्या कदम उठा रहा है, अस्पतालों की स्थिति क्या है, जहां क्या व्यवस्थाएं की जा रही हैं, क्वारंटीन को लेकर क्या हो रहा है, बाहर से आए श्रमिक साथियों के लिए क्या प्रबंध हो रहे हैं, ये सारे बदलाव मुझे मिल रहे थे।
>> सावन का महीना चल रहा है, ऐसे में बाबा के चरणों में आने का मन हर किसी का करता है। लेकिन जब बाबा की नगरी के लोगों से रूबरू होने का मौका मिला है तो ऐसा लगता है कि आज मेरे लिए एक दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।