कुछ लोगों को बस, कार या ट्रेन के सफर से भय लगता है. क्योंकि इस दौरान वे कई परेशानियों जैसे जी मिचलना, उल्टी होना, घबराहट व पसीने आने जैसे लक्षणों का सामना करते हैं.
चलते वाहनों की गति के अनुकूल शरीर का सामंजस्य न बना पाने की वजह से चक्कर, बेचैनी आदि समस्याओं को मोशन सिकनेस कहते हैं. यह तकलीफ 5 से 12 वर्ष के बच्चों, स्त्रियों व बुजुर्गों में ज्यादा होती है.
ऐसा क्यों होता है? किसी भी तरह की गति या पोजीशन में परिवर्तन की सूचना व जानकारी को कान के आंतरिक भाग में स्थित वेस्टीबुलर तंत्र, आंखें और स्कीन पर स्थित संवेदी अंग दिमाग तक पहुंचाते हैं. इन अंगों के आपसी सामंजस्य से उस स्थिति के अनुसार शरीर अपना संतुलन बरकरार रखता है. कई लोगों में बस, कार या अन्य वाहन में चलने के दौरान इन भागों में महत्वपूर्ण तालमेल नहीं बैठ पाता. इसलिए आपस में हुई विसंगति से कई तकलीफें पैदा हो जाती हैं. यह तीन प्रकार से होता है. जब गति महसूस होती है लेकिन दिखाई नहीं देती जैसे बंद कार या बंद बस में. जब गति दिखाई देती है लेकिन महसूस नहीं होती जैसे वीडियो गेम खेलने के दौरान या अन्य विजुअल फिल्मों में चलते दृश्य देखकर व जब गति को महसूस करने के साथ देखने में सामंजस्य न बैठ पाना.
इस समस्या का उपचार क्या है? इसके लिए विशेषज्ञ कुछ दवाएं देते हैं जैसे डाइमेनहाइड्रिनेट, मेक्लीजीन और प्रोमेथाजीन. ये कान के आंतरिक भाग यानी लेब्रिंथ पर काम करती हैं. इन्हें यात्रा प्रारम्भ करने से कम से कम आधे या एक घंटे पहले लेनी होती है. क्योंकि ज्यादातर मामलों में ये दवाएं मोशन सिकनेस के उपचार के बजाय बचाव में ही अच्छा होती हैं.
सफर के दौरान किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए? चलते वाहन में खिड़की से बाहर गति को महसूस करने के साथ इसके चलने की दिशा में भी देखें. ट्रेन या बस में खिड़की के पास वाली व आगे वाली सीट पर बैठें. सिर को सीधा व सधा हुआ रखने की प्रयास करें. यात्रा से अच्छा पहले गरिष्ठ, तला-भुना भोजन न खाएं. शराब या अन्य नशीली चीजें भी न लें.