नई दिल्ली : चीन ने ब्यूबोनिक प्लेग नामक एक खतरनाक बीमारी के बारे में अलर्ट जारी किया है। उत्तरी चीन के एक अस्पताल में इस बीमारी से जुड़ा एक मामला सामने आने के बाद वहां अलर्ट जारी कर दिया गया है। चीन के बयन्नुर में इसके रोकथाम के लिए स्थानीय स्वास्थ्य विभाग ने तीसरे स्तर की चेतावनी जारी की है। यह चेतावनी इस साल के अंत तक के लिए जारी की है। साथ ही लोगों को सतर्क रहने के लिए भी कहा गया है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या बला है ये ब्यूबोनिक प्लेग, ये कैसे फैलता है और सबसे जरूरी कि यह बीमारी कितनी खतरनाक है?
ब्यूबोनिक प्लेग को 'ब्लैक डेथ' या काली मौत भी कहते हैं। यह कोई नई बीमारी नहीं है बल्कि इसकी वजह से करोड़ों लोग पहले भी मारे जा चुके हैं। इस बीमारी में इंसान को तेज बुखार और शरीर में असहनीय दर्द होता है। साथ ही नाड़ी भी तेज चलने लगती है। इसके अलावा दो-तीन दिन में शरीर में गिल्टियां निकलने लगती हैं, जो 14 दिन में ही पक जाती हैं। वही नाक और उंगलियां भी काली पड़ने लगती हैं और धीरे-धीरे वो सड़ने लगती हैं। गिल्टियां निकलने की वजह से इस बीमारी को गिल्टीवाला प्लेग भी कहते हैं।
यह बीमारी जंगली चूहों में पाए जाने वाली बैक्टीरिया से होती है। दरअसल, सबसे पहले ब्यूबोनिक प्लेग जंगली चूहों को होता है। फिर उनके मरने के बाद प्लेग के बैक्टीरिया पिस्सुओं के जरिए इंसान के शरीर में घुस जाते हैं। जब पिस्सु काटते हैं तो संक्रमण वाले बैक्टीरिया इंसान के खून में मिल जाते हैं, जिससे इंसान भी प्लेग से संक्रमित हो जाता है। ऐसा चूहों के मरने के दो-तीन हफ्ते बाद होता है। ब्यूबोनिक प्लेग फैलाने वाले बैक्टीरिया का नाम यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम है।
यह शरीर के लिंफ नोड्स (लसीका ग्रंथियां), खून और फेफड़ों पर हमला करता है। संक्रमित पिस्सू के काटने से यह संक्रमण मानव तक पहुंचता है। शरीर से निकलने वाले संक्रमित तरल के संपर्क में आने या न्यूमानिक से संक्रमित व्यक्ति के ट्रॉपलेट्स के द्वारा यह दूसरे व्यक्ति तक पहुंचता है। न्यूमानिक संक्रमित व्यक्ति का ड्रॉपलेट रेस्पिरेटरी सिस्टम में सांस के द्वारा प्रवेश करने पर दूसरा व्यक्ति संक्रमित होता है। समय रहते अगर संक्रमित को सामान्य एंटी-बायोटिक्स प्लेग को ठीक कर सकते हैं।