कोविड-19 महामारी ने करोड़ों लोगों को प्रभावित किया है. इसने लोगों को सामाजिक दूरियां बनाए रखने के लिए मजबूर किया है सामान्य जीवन में बाधा उत्पन्न की है. संक्रमण का प्रसार न हो, इसलिए लोगों को अपनी दुकानें व्यापार बंद करने पर मजबूर होना पड़ा है काफी लोगों को अपनी नौकरियों से भी हाथ धोना पड़ा है. इस सबके बीच अधिकांश लोगों का मानना है कि अधिक धन से वह ज्यादा खुश रहेंगे.
आईएएनएस-सीवोटर एवं जीएमआरए हैप्पीनेस इंडेक्स ट्रैकर में लोगों से सवाल पूछा गया, क्या आपको लगता है कि आय में वृद्धि आपको खुश रखती है? इस सवाल के जवाब में सर्वेक्षण में शामिल 70.5 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा कि इस बात से पूरी तरह से सहमत हैं.
सर्वे में शामिल 14.5 प्रतिशत लोगों ने कुछ हद तक इस पर अपनी सहमति व्यक्त की, जबकि केवल 6.1 प्रतिशत लोगों ने दृढ़ता से असहमति जताई. वहीं 2.8 प्रतिशत लोगों ने इस बात से कुछ हद तक असहमति जताई.
Corona Crisis: कोरोना काल में कैसी होगी आपकी जिंदगी?
वृद्ध लोगों (60 वर्ष उससे अधिक) फ्रेशर्स (25 वर्ष से कम) के बीच एक स्पष्ट विभाजन दिखा, जिसमें केवल 65.6 प्रतिशत वृद्ध लोग दृढ़ता से सहमत हुए कि अधिक धन होने से वह अधिक खुश रहेंगे. वहीं 13.4 प्रतिशत ने इस पर कुछ हद तक सहमति जताई. जबकि 74.8 प्रतिशत फ्रेशर्स ने ²ढ़ता से सहमति व्यक्त की 13.8 प्रतिशत ने कुछ हद तक इस पर अपनी सहमति जताई.
धार्मिक समूहों के बीच सिख इस कथन से बहुत सहमत दिखे, जबकि ईसाई सबसे कम सहमत थे. उत्तरदाताओं के बीच 95.5 प्रतिशत सिखों ने इस कथन के साथ ²ढ़ता से सहमति जताई, जबकि 2.3 प्रतिशत ने कुछ हद तक अपनी सहमति व्यक्त की.
केवल 2.1 प्रतिशत सिख उत्तरदाताओं ने इस कथन से ²ढ़ता से असहमति जताई. वहीं सभी ईसाई उत्तरदाताओं में से 45.0 प्रतिशत ने ²ढ़ता से सहमति व्यक्त की अन्य 26.9 प्रतिशत ने कुछ हद तक इस कथन के साथ सहमति व्यक्त की कि आय के स्तर में वृद्धि उन्हें अधिक खुश करती है, जबकि 10.8 प्रतिशत उत्तरदाता वक्तव्य से असहमत दिखे.
सर्वे में क्षेत्र के हिसाब से देखा गया तो अधिकांश उत्तर भारतीय उत्तरदाताओं ने अधिक धन को खुशी प्रदान करने वाला बताया. उत्तर भारतीयों में से 82.5 प्रतिशत इस कथन से काफी सहमत दिखे. वहीं 9.4 प्रतिशत लोगों ने कुछ हद तक अपनी सहमति जताई. इसके अलावा दक्षिण भारतीय उत्तरदाताओं में केवल 49.3 प्रतिशत लोगों ने माना कि अधिक धन उन्हें ज्यादा खुशी प्रदान कर सकता है, जबकि 27.4 प्रतिशत के साथ कुछ हद तक इस पर अपनी सहमति व्यक्त की.
नहाने के पानी में चुपचाप ये चीज डालने से धन-समृद्धि की नहीं रह जाती कोई कमी, बस विधि का रखें ध्यान
ग्रामीण शहरी क्षेत्रों के लोगों की भी अलग-अलग राय ली गई. सर्वे में पाया गया कि 73.0 प्रतिशत शहरी लोग काफी स्पष्ट थे कि ज्यादा धन उन्हें अधिक खुशी प्रदान कर सकता है. वहीं 11.1 प्रतिशत शहरी इस बात से कुछ हद तक सहमत दिखे. इस मामले में ग्रामीण क्षेत्र के आंकड़े क्रमश: 51.5 प्रतिशत 29.2 प्रतिशत रहे.
सीवोटर द्वारा यह सर्वेक्षण दिल्ली स्थित एनजीओ जेंडर मेनस्ट्रीमिंग रिसर्च एसोसिएशन (जीएमआरए) के साथ मिलकर किया गया. इसे भारत में एक व्यापक खुशी सूचकांक (हैप्पीनेस इंडेक्स) विकसित करने के प्रयास के तहत किया गया.