पौराणिक कथा: आप भी जानिए आखिर अन्तरिक्ष में किस घटना के होने पर होता है चंद्रमा या फिर सूर्य ग्रहण..

पौराणिक कथा के मुताबिक़ समुद्र मंथन के दौरान देवों और दानवों के बीच अमृत पान को लेकर विवाद चल रहा था. तो भगवान विष्णु मोहिनी एकादशी के दिन एक मोहिनी का रूप धारण किया. विवाद शांत हो जाये और अमूर्त देवताओं को मिल जाए.

इसके लिए भनवान विष्णु ने अमृत को देवताओं और असुरों के बीच बराबर - बराबर भागों में बांटने की बात कही. इसके लिए उन्होंने दोनों को राजी कर लिया. उसके बाद भगवान विष्णु ने देवों और असुरों को अलग - अलग लाइन में बैठा दिया. परन्तु असुरों को भगवान विष्णु की चाल समझ में आगई.
उसमें से एक असुर ने देवता का रूप धारण कर देवतों की लाइन में बैठ गया. इसे भगवान विष्णु जान नहीं पाए. असुर की इस चालाकी को सूर्य और चंद्रमा ने भगवान विष्णु से बता दी. इसपर विष्णु भगवान को क्रोध आया और अपने सुदर्शन चक्र से उस राक्षस का गला काट दिया.
चूंकि वह अमृतपान कर चुका था इसलिए उसकी मृत्यु नहीं हुई. इसके सर वाला भाग राहु और धड़ वाला भाग केतु बन गया. तभी से राहु-और केतु, सूर्य और चंद्रमा को अपना शत्रु मानने लगे.

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